
हमीरपुर. यह बकरा लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। हर कोई यह जानने पहुंचता है कि आखिर यह बकरा इतना लंबा-तगड़ा कैसे बना? आइए आपको बताते हैं कि यह बकरा क्यों खास है। करीब 220 किलो वजनी इस बकरी की बोली करीब 8 लाख रुपए लग चुकी है। यह बकरे को काजू-किशमिश, बादाम-अखरोट जैसे ड्राय फूट खाता है। बुजुर्ग और बकरों के विशेषज्ञ अनवर मिर्जा बताते हैं कि सालभर पहले इस बकरे को खरीदा गया था। तब यह इतना हष्ट-पुष्ट नहीं था। उसकी डाइट प्लान करके उसे इतना ताकतवर बनाया गया। वे कहते हैं कि यह बकरा हिंदुस्तान के चुनिंदा बकरों में से एक है।
11 या 12 को मनाई जा सकती है ईद
ईद चांद के दिखने पर निर्भर होती है। इस बार बकरा ईद या ईद-उल-अजहा या ईद-उल-जुहा 11 या 12 अगस्त को मनाई जाएगी। बकरा ईद मीठी ईद के 2 महीने बाद आती है।
ईद से जुड़ी कहानी
इस्लाम में हजरत इब्राहिम को अल्लाह का पैगंबर कहते हैं। वे 90 साल के हुए, लेकिन उनके घर में कोई संतान नहीं हुई। तब उन्होंने खुदा की बंदगी की इसके बाद उनके यहां बेटे इस्माइल का जन्म हुआ। एक दिन उन्हें सपना आया, जिसमें उनसे सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने को कहा गया। इब्राहिम ने अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने की ठानी। लेकिन उनकी इबादत देखकर खुदा ने कुर्बानी को बकरे में बदल दिया। यानी इस्माइल कर जगह बकरे की कुर्बानी हो चुकी है। तब से खुदा की इबादत में बकरा ईद मनाई जाती है।
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