
कानपुर: अवैध असलहा रखने के मामले में आर्म्स एक्ट के तहत दोषी करार दिए गए कैबिनेट मंत्री राकेश सचान को अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट तृतीय आलोक यादव ने एक साल कैद की सजा सुनाई। इसी के साथ उन पर 1500 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया। लेकिन जमानत पर उनकी रिहाई हो गई। उन पर 13 अगस्त 1991 को तत्कालीन एसओ बृजमोहन उदेनिया ने राकेश सचान के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई थी।
राइफल का लाइसेंस नहीं दिखा सके थे सचान
राकेश सचान पर आरोप था कि उनके पास से राइफल बरामद हुई थी, उसका लाइसेंस भी वह नहीं दिखा सके थे। इसी मामले में कोर्ट ने अभियुक्त राकेश सचान को दोषी करार दिया था। सजा के बिंदु पर सुनवाई के बाद अदालत को सजा सुनानी थी। मंत्री के दोषी करार दिए जाने की सूचना पर उनके समर्थकों और वकीलों ने हंगामा भी किया। इस बीच अभियुक्त राकेश सचान कोर्ट से आदेश की प्रति लेकर चले गए थे। उस दिन वहां जमकर आपाधापी देखी गई और देर शाम एसीएमएम तृतीय के रीडर ने राकेश सचान के खिलाफ कोतवाली में तहरीर भी दी। सजा से बचने का रास्ता साफ न दिखाई देने और नए मुकदमे की तलवार लटकने की जानकारी मिलने पर उन्होंने कोर्ट में समर्पण का मन बनाया। रविवार को अवकाश के कारण समर्पण न हो सका तो सचान ने सोमवार को यह कदम उठाया।
कम से कम सजा की हुई थी मांग
अदालत में राकेश की ओऱ से वकील ने सामाजिक और राजनीतिक जीवन का हवाला देते हुए कम से कम सजा की मांग की। इस बीच अभियोजन की ओर से अधिकतम सजा का तर्क रखा गया था। दोनों पक्षों की ओऱ से सुनवाई के बाद सचान को एक साल कैद और 1500 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई। हालांकि इसके बाद ही उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।
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