कोरोना काल में दम तोड़ रहे रिश्ते, बेटे की मौत कोरोना से हुई सुनते ही शव छोड़कर भागे मां-बाप

कोरोना का संक्रमण काल रिश्तों के लिए भी काल बनकर आया है। यहां बीमारी की पुष्टि होते ही अपने ही दूरी बना ले रहे हैं। लेकिन यूपी के रामपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है जहां मौत के बाद मां-बाप ने अपने 9 माह के बेटे से दूरी बना ली

रामपुर(Uttar Pradesh). कोरोना का संक्रमण काल रिश्तों के लिए भी काल बनकर आया है। यहां बीमारी की पुष्टि होते ही अपने ही दूरी बना ले रहे हैं। लेकिन यूपी के रामपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है जहां मौत के बाद मां-बाप ने अपने 9 माह के बेटे से दूरी बना ली। ब्रेन ट्यूमर का इलाज कराने बेटे को दिल्ली के एम्स ले गए मां बाप को जैसे ही मासूम बेटे की मौत कोरोना से होने की जानकारी मिली वह उसके शव को वहीं छोड़कर भाग निकले। बाद में अस्पताल प्रशासन ने उनके गृह जनपद के प्रशासन को इसकी जानकारी दी। जिसके बाद मां बाप को क्वारंटाइन कराया गया। उनकी सहमति के बाद एम्स प्रशासन ने मासूम बेटे का अंतिम संस्कार करवा दिया। 

मामला रामपुर के मिलक तहसील क्षेत्र के गांव भैंसोड़ी शरीफ गांव का है। इस गांव निवासी दंपति के करीब नौ माह के बच्चे के सिर में पैदाइशी गांठ थी। इसे डाक्टरों ने ब्रेन ट्यूमर बताया था। बीते वर्ष नवंबर-दिसंबर से उसका एम्स में उपचार चल रहा था। आपरेशन के लिए 29 मई की तारीख तय थी। लिहाजा परिजन 26 मई को उसे एम्स ले गए थे। वहां पहुंचने पर नियमानुसार बच्चे का कोरोना टेस्ट कराया गया। बताया जाता है कि इसी बीच बच्चे ने 29 मई को आपरेशन के दौरान दम तोड़ दिया। 

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कोरोना पाजिटिव आई रिपोर्ट तो मां-बाप हुए फरार 
मासूम की मौत के बाद उसकी कोरोना जांच रिपोर्ट भी पॉजिटिव आयी, लेकिन उस रिपोर्ट और मासूम के शव को लेने वाला वहां कोई नहीं था। मासूम के मां-बाप बच्चे का शव एम्स में ही छोड़कर वहां से भाग आए। एम्स प्रशासन ने कोरोना पॉजिटिव मासूम के शव के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि वह रामपुर का रहने वाला था। इस पर डीएम रामपुर को सूचना दी गई। एम्स प्रशासन ने जिलाधिकारी को पूरा प्रकरण बताया। डीएम ने सीएमओ डाक्टर सुबोध कुमार शर्मा को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। इस पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मासूम के माता-पिता को उनके गांव से लाकर क्वारंटाइन करा दिया है। 

प्रशासन ने की शव लाने की व्यवस्था, परिजनों ने किया इंकार
जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह ने बताया कि बच्चे के पिता मोटर मैकेनिक हैं। उनकी आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर नहीं रही होगी। फिर भी प्रशासन ने अपने स्तर पर शव लाने की व्यवस्था करायी। इसके बावजूद मां-बाप ने शव लेने से इंकार कर दिया।

परिजनों की सहमति से एम्स ने कराया अंतिम संस्कार 
जिलाधिकारी ने बताया कि एम्स प्रशासन को जब यह बताया गया कि मां-बाप शव लेने के इच्छुक नहीं हैं, तो उन्होंने नियमानुसार सहमति पत्र मांगा। इस पर मृतक मासूम के पिता की ओर से लिखकर सहमति जताई। इसके बाद एम्स में ही बच्चे का अंतिम संस्कार कर दिया गया है।

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