
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की दोबारा वापसी के बाद से राज्य में कई अहम फैसले लिए गए है। योगी सरकार 2.0 के मंत्री और आला अधिकारियों की निगरानी पर काम तेजी से हो रहा है। इसी कड़ी में राज्य के सरकारी अस्पतालों में ओपीडी में डॉक्टर्स को दिखाने आ रहे मरीजों को कठिनाई न हो इसके लिए अब टोकन सिस्टम लागू किया जाएगा। साथ ही मरीजों के बैठने के उचित व्यवस्था होगी और टोकन नंबर के अनुसार वह डॉक्टर को आसानी से दिखा सकेंगे। क्योंकि अभी डॉक्टर को दिखाने के लिए मरीजों के साथ-साथ परिजनों को भी लंबी-लंबी कतारों में लगना पड़ता है। इतना ही नहीं लाइन में लगने के बाद धक्का-मुक्की का सामना भी करना पड़ता है। टोकन व्यवस्था के लागू होने पर मरीजों को अब इस परेशानी से छुटकारा मिल जाएगा।
पर्याप्त संख्या में मरीजों के बैठने के लिए डाली जाएं बेंच
सरकारी अस्पतालों के ओपीडी में टोकन व्यवस्था को लागू करने के लिए गुरुवार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. वेद ब्रत सिंह की ओर से यह आदेश जारी कर दिया गया है। समस्त मंडली अपर निदेशकों, अस्पतालों के निदेशकों व मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों को निर्देश दिए गए है कि वह मरीजों को बेहतर उपचार की सुविधा दिलाने के लिए जरूरी सुधार करें। अस्पतालों में ओपीडी व लैब के बाहर मरीजों के बैठने की व्यवस्था के लिए पर्याप्त संख्या में बेंच डाली जाएं ताकि अस्पताल में आ रहे लोगों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
नियमित समय पर ड्यूटी में रहे मौजूद
अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में हो और कोई भी डॉक्टर अगर मरीज को बाहर से दवा लिखता पकड़ा गया तो उसपर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सभी डॉक्टर व कर्मचारी समय पर अस्पताल पर पहुंचे और ड्यूटी पर पूरा समय उपस्थित रहें। इसे सुनिश्चित करने के लिए अधिकारी समय-समय पर औचक निरीक्षण जरूर करें। अगर कोई भी डॉक्टर ड्यूटी के समय उपस्थित नहीं पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाही होगी। इसलिए मंडलीय व जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात डॉक्टर व पैरामेडिकल कर्मी चिकित्सालय पर आवंटित आवास में ही निवास करें।
स्वच्छता के साथ दे इमारत में मरम्मत का ध्यान
चिकित्सालयों में बेड साफ-सुथरे हो और हर दिन हर बेड की चादर बदली जाए। साथ ही अस्पतालों में कूड़ेदान की व्यवस्था की जगह-जगह पर होनी चाहिए। स्वच्छता के साथ-साथ अस्पतालों की इमारत की जरूरत के अनुसार मरम्मत भी की जाए। इसके साथ ही हर्बल गार्डेन का विकास किया जाए। अल्ट्रासाउंड, एक्सरे मशीनों की समय-समय पर मरम्मत हो और उनकी जांच होती रहे। मरीजों को हर हाल में एंबुलेंस उपलब्ध कराई जाए।
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