'निर्भया' के दोषियों को फांसी देने के लिए मेरठ जेल में प्रैक्टिस कर रहा पवन जल्लाद, कही ये बातें

Published : Jan 09, 2020, 05:21 PM IST
'निर्भया' के दोषियों को फांसी देने के लिए मेरठ जेल में प्रैक्टिस कर रहा पवन जल्लाद, कही ये बातें

सार

जिला कारागार मेरठ में पवन जल्लाद की हाजिरी रोजाना लग रही है। पवन को जेल बुलाकर उसकी उपस्थिति दर्ज कराई जा रही है। रोजाना उपस्थिति के लिए रजिस्टर बन गया है और उसके शहर से बाहर जाने पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। ये हाजिरी 15 जनवरी तक रोज लगेगी। 

मेरठ (उत्तर प्रदेश) । निर्भया कांड के चारों दोषियों को 22 जनवरी की सुबह सात बजे तिहाड़ जेल में फांसी पर चढ़ाया जाएगा। इन दरिंदों के फांसी का फंदा खींचने के लिए पवन जल्लाद प्रैक्टिस कर रहा है। पवन जल्लाद से जब पूछा गया कि क्या ऐसे गुनहगारों को सार्वजनिक तौर पर फांसी दी जानी चाहिए तो उसने कहा कि उसकी व्यक्तिगत भावना है कि ऐसे गुनहगारों को बीच चौराहे ले जाकर शूली पर चढ़ा देना चाहिए। हालांकि आगे कहा कि न्यायपालिका जो कर रही है, वह अच्छा कर रही है।

पवन जल्लाद की रोजाना लग रही हाजिरी
जिला कारागार मेरठ में पवन जल्लाद की हाजिरी रोजाना लग रही है। पवन को जेल बुलाकर उसकी उपस्थिति दर्ज कराई जा रही है। रोजाना उपस्थिति के लिए रजिस्टर बन गया है और उसके शहर से बाहर जाने पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। ये हाजिरी 15 जनवरी तक रोज लगेगी। 

मेरठ जिला जेल में चल रही प्रैक्टिस
जिला कारागार में फांसी की बारीकियां भी समझाई जा रही हैं, ताकि फांसी लगाते समय वो विचलित न हो। जेल के अधिकारियों का कहना है कि पवन को फांसी की पूरी जानकारी है, लेकिन फिर भी रिहर्सल करना जरुरी है।

फांसी से पहले किया जाता है ट्रायल

पवन जल्लाद ने बताया कि फांसी से पहले ट्रायल होता है, ताकि फांसी देते समय कोई गलती न हो। फांसी के फंदे से कोई भी अपराधी बिना मरे वापस न आ सके। 

इनसे सीखी थी फांसी देने की टेक्निक
पवन ने अपने दादा और पिता से फांसी टेक्निक सीखी थी। वह कहते हैं कि कोशिश होती है जिसे फांसी दी जा रही हो, उसे कम से कम कष्ट हो। वैसे पवन फांसी देने की ट्रेनिंग के तौर पर एक बैग में रेत भरते  और उसका वजन मानव के वजन के बराबर होता है। इसी को रस्सी के फंदे में कसकर वो ट्रेनिंग को अंजाम देते हैं। बार-बार प्रैक्टिस इसलिए होती है कि जिस दिन फांसी देनी हो, तब कोई चूक नहीं हो।

80 से ज्यादा फांसी में हो चुके हैं शामिल 

अपने दादा और पिता के साथ पवन ने मदद देने के दौरान करीब 80 फांसी देखीं है। पवन का परिवार सात लोगों का है। हालांकि ये तय है कि उनका बेटा जल्लाद नहीं बनने वाला, क्योंकि वो ये काम नहीं करना चाहता है। बेटा एक दो साल पहले तक सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा था।

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