
गोरखपुर (Uttar Pradesh). नागरिकता संशोधन कानून बनने के बाद से पूरे देश में अलग अलग तरह के भ्रम फैले हैं। ऐसी अफवाह है कि जिसके बाद जन्म और निवास प्रमाण पत्र नहीं होगा उसे देश से बाहर निकाल दिया जाएगा। इसी का असर यूपी के कई शहरों में देखने को मिला। 60-70 साल के बुजुर्ग भी अपना जन्म प्रमाण पत्र बनवाने पहुंचे।
जब जन्म प्रमाण पत्र बनवाने पहुंचे बुजुर्ग
गोरखपुर नगर निगम स्थित जन्म प्रमाण पत्र के कार्यालय के बाहर बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक की भीड़ देखने को मिली। पादरी बाजार के रहने वाले मोहम्मद शहादत बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पहुंचे। उन्होंने कहा, अभी तक इसकी जरूरत महसूस नहीं हुई। लेकिन यह हर जगह तो काम आता ही है। वहीं, बहन का जन्म प्रमाण पत्र बनवाने आईं अलीनगर की शादिया परवीन कहती हैं, बहन की शादी फरीदाबाद में हो चुकी है। अभी तक उन्होंने जन्म प्रमाण पत्र नहीं बनवाया। नागरिकता संसोधन कानून लागू होने के कारण यह बनवाना पड़ रहा है।
अफसरों का क्या है कहना
जन्म-मृत्यु रजिस्टर्ड कार्यालय में तैनात क्लर्क दीपक कुमार श्रीवास्तव कहते हैं, बीते 10 दिन से भीड़ बढ़ गई है। रोज 150 से ज्यादा लोग आ रहे हैं। इसमें 70 से 75 प्रतिशत आवेदन मुस्लिम परिवार के लोगों के हैं। 1947 के जन्म तक का प्रमाण पत्र बनवाने का आवेदन आया है। 1965 और 70 में पैदा हुए लोग भी आवेदन कर रहे हैं। पहले ऐसा कभी नहीं हुआ।
कैसे बनवाएं जन्म प्रमाण पत्र
जन्म प्रमाण पत्र नगर पालिका, नगर पंचायत या ग्राम पंचायत से बनता है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं। जन्म प्रमाण पत्र के लिए अस्पताल का सर्टिफिकेट देना जरुरी है। लेकिन तय समय सीमा के अंदर ही अस्पताल का सर्टिफिकेट मान्य है। जन्म प्रमाण पत्र की प्रक्रिया साल 1988 के बाद शुरू हुई। 1988 तक जन्में लोगों के लिए दसवीं का सर्टिफिकेट ही जन्म प्रमाण पत्र है।
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