एक महीने में राजनीतिक पार्टियों ने की 150 से अधिक रैलियां, कोरोना से हालात बिगड़ने के बाद लिया वर्चुअल का सहारा

Published : Jan 05, 2022, 05:18 PM IST
एक महीने में राजनीतिक पार्टियों ने की 150 से अधिक रैलियां, कोरोना से हालात बिगड़ने के बाद लिया वर्चुअल का सहारा

सार

 यूपी के अलग अलग जिलों में हो रही राजनीतिक पार्टीयों की रैली में भारी भीड़ के साथ कोरोना को दावत दी जा रही थी। ऐसे में चुनावी रैलियों के दौरान जनता के बीच रखे जा रहे लुभावने दावों के बीच साफ जाहिर होता है कि अखिलेश यादव, योगी आदित्यनाथ, प्रियंका गांधी जैसे दिग्गज नेताओं के लिए रैली की वजह से प्रदेश में रफ्तार पकड़ रही कोरोना महामारी मायने रखती थी या रैलियों के दौरान खुले मैदान के नीचे पार्टी प्रमुखों की ओर से किया जा रहा शौर्य प्रदर्शन। 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में साल 2021 के आखिरी महीने यानी दिसंबर में कोरोना संक्रमण (Covid 19) ने तेजी के साथ पैर पसारना शुरू कर दिया। लेकिन इन सबके बीच इसी माह में विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha chunav 2022) की तैयारियों में जुटे राजनीतिक दलों ने प्रदेश के भीतर ताबड़तोड़ रैलियां की। एक तरफ योगी सरकार (Yogi government) की ओर से संक्रमण के खतरे को लेकर नए नए निर्देश जारी किए जा रहे थे। वहीं, दूसरी ओर यूपी के अलग अलग जिलों में हो रही राजनीतिक पार्टीयों की रैली में भारी भीड़ के साथ कोरोना को दावत दी जा रही थी। ऐसे में चुनावी रैलियों के दौरान जनता के बीच रखे जा रहे लुभावने दावों के बीच साफ जाहिर होता है कि अखिलेश यादव (Akhilesh yadav), योगी आदित्यनाथ, प्रियंका गांधी (Priyanka gandhi) जैसे दिग्गज नेताओं के लिए रैली की वजह से प्रदेश में रफ्तार पकड़ रही कोरोना महामारी मायने रखती थी या रैलियों के दौरान खुले मैदान के नीचे पार्टी प्रमुखों की ओर से किया जा रहा शौर्य प्रदर्शन। हालांकि, बिगड़ते हालात के साथ धीरे धीरे सभी पार्टियों ने वर्चुअल रैली (Virtual rally) करने की घोषणा कर दी है। 

SP-BJP और कांग्रेस ने मिलकर एक महीने में की 150 से अधिक रैलियां
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीख है नजदीक आते ही राजनीतिक पार्टियों की रैलियों का दौर शुरू हो गया था। लेकिन इन सबके बीच जैसे ही दिसंबर माह का महीना करीब आया, वैसे वैसे प्रदेश के भीतर बीजेपी, सपा, बसपा और कांग्रेस ने सभी जिलों में अपनी ताकत झोंकना शुरू कर दिया। सामने आए आंकड़ों के अनुसार बीजेपी की ओर से सभी जिलों में  निकाली जाने वाली जन विश्वास यात्रा, सपा की ओर से सभी जिलों में निकाली जाने वाली विजय रथ यात्रा  व कांग्रेस की मैराथन दौड़ के बीच तीनों पार्टियों के दिग्गज नेताओं ने जोर शोर के साथ अपना चुनावी प्रदर्शन किया। सपा और बीजेपी की यात्राओं में रोजाना सभी जिलों में होने वाली जनसभाओं में भारी भीड़ देखने को मिली। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, साल 2021 के आखिरी महीने यानी दिसंबर में प्रदेश भर में इन राजनीतिक दलों ने मिलकर तकरीबन डेढ़ सौ से अधिक रैलियों की। आपको बता दें कि कोरोना का दूसरा चरण खत्म होने के बाद इसी दिसंबर माह की शुरुआत से संक्रमण ने उत्तर प्रदेश में पैर पसारना शुरू कर दिया था। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि बीते समय में कोरोना संक्रमण से बिगड़ते हालात का एक दृश्य देखने के बावजूद बड़े-बड़े आयोजन करके भारी भीड़ के बीच कोरोना को न्योता क्यों दिया गया? 

मैराथन दौड़ के बीच हुए हादसे के बाद कांग्रेस को नजर आया कोरोना संक्रमण
उत्तर प्रदेश में लगातार कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की ओर से प्रदेश की महिलाओं को रिझाने के लिए मैराथन दौड़ का आयोजन किया जा रहा था। इसी बीच बीते सोमवार को यूपी के बरेली जिले में मैराथन दौड़ के दौरान भगदड़ मच गई, जिसमें कई लड़कियां घायल भी हो गई थी। इस घटना के बाद विपक्षी दलों ने कांग्रेस पर कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन, महिला सुरक्षा में लापरवाही से जुड़े कई आरोप लगाना शुरू कर दिया। जिसके बाद बुधवार को कांग्रेस ने तेजी दिखाते हुए प्रदेश में फसीला रहे कोरोना संक्रमण का नाम लेकर आने वाले दिनों में होने वाली मैराथन दौड़ और बड़ी-बड़ी रैलियों को रद्द करने का फैसला लिया। इतना ही नहीं, इससे पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट करते हुए अपने परिवार व स्टाफ के एक-एक सदस्य के कोरोना संक्रमित होने की जानकारी भी दी थी। 

कांग्रेस के बाद PM मोदी ने भी रद्द की अपनी चुनावी रैली
उत्तर प्रदेश में कोरोना के हालात बिगड़ने के बाद बुधवार को एक तरफ कांग्रेस ने अपनी चुनावी रैलियों को रद्द करने का फैसला लिया। जिसके तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उत्तर प्रदेश में होने वाली चुनावी कार्यक्रमों के स्थगित होने का फरमान सामने आ गया। इतना ही नहीं, बीजेपी के नितिन गडकरी, योगी आदित्यनाथ, पीएम मोदी जैसे दिग्गज नेताओं की ओर से आगामी दिनों में अलग-अलग जिलों में होने वाले परियोजनाओं के लोकार्पण से जुड़े कार्यक्रमों को भी वर्चुअली करने का निर्णय लिया गया। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि जब प्रदेश में कोरोना के हालात बुरे दौर के पहले चरण पर पहुंचना शुरू हुए, तब ही इन दलों ने अपने कार्यक्रमों को वर्चुअली करने का फैसला क्यों लिया। 

यूपी में दिसम्बर माह में बिगड़े कोरोना से हालात
आपको बता देंगे उत्तर प्रदेश में साल 2021 के आखिरी महीने यानी दिसंबर के पहले दिन से ही रोना के हालात बिगड़ना शुरू हो गए थे। जारी आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में 1 दिसंबर को कोरोना के नए मरीजों की संख्या 7  दर्ज की गई थी। वहीं, एक्टिव केस की संख्या सौ से कम होने के साथ 92 दर्ज की गई थी। वहीं, 1 दिसंबर माह के आखिरी दिन यानी 31 दिसम्बर तारीख में उत्तर प्रदेश में कोरोना के नए मरीजों की संख्या 1 दिन में 251 में दर्ज होने के साथ एक्टिव केस का आंकड़ा 862 पर पहुंच गया था। लिहाजा इन आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि यूपी में दिसंबर माह में ही कोरोना संक्रमण के हालात लगातार बिगड़ना शुरू हो गए थे, इन बिगड़ते हालातों के बीच राजनीतिक दलों की ओर से आयोजित की जाने वाली चुनावी रैलियां एक बड़ी लापरवाही की ओर इशारा करती हैं।

यूपी चुनाव पर छाया कोरोना का साया, PM Modi सहित कांग्रेस ने रद्द की अपनी रैलियां

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