5 दिन तक बेटी के शव के साथ रहने वाले परिवार का एक और खौफनाक सच आया सामने, जानवरों के साथ भी किया था ऐसा सलूक

Published : Jun 30, 2022, 03:19 PM ISTUpdated : Jun 30, 2022, 06:39 PM IST
5 दिन तक बेटी के शव के साथ रहने वाले परिवार का एक और खौफनाक सच आया सामने, जानवरों के साथ भी किया था ऐसा सलूक

सार

प्रयागराज में बेटी के शव के साथ 5 दिन तक रहने वाले परिवार को एक और खौफनाक सच सामने आया है। परिवार के लोगों ने कई दिनों तक जानवरों का चारा पानी भी बंद रखा। इस बीच किसी ने उन्हें कुछ देने का प्रयास किया तो उससे भी विवाद किया गया। 

प्रयागराज: करछना में डीहा गांव में बेटी के शव के साथ घर के भीतर बंद मिले परिजन पूरी तरह से अंधविश्वास से घिरे हुए थे। वह इस कदर से अंधविश्वासी थे कि उन्होंने पालतू जावरों को चारा-पानी तक देना बंद कर दिया था। उनके पास 6 जानवर थे जो खाना नहीं मिलने से तड़पकर मर गए। इस बीच अगर ग्रामीणों ने भी उन्हें कुछ खिलाने की कोशिश की तो परिवार वालों ने उनसे झगड़ा कर लिया। फिलहाल पोस्टमार्टम के बाद युवती का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। इसी के साथ तीन बहनों को भी ससुराल भेज दिया गया है। 

अंधविश्वास के चलते बंद किया था जानवरों का चारा-पानी 
डीहा निवासी अभयराज के पास कुछ 6 जानवर थे। इसमें 2 भैंस, 2 गाय और 2 बछड़े थे। ग्रामीणों ने बताया कि मवेशी काफी अच्छी नस्ल के थे। हालांकि परिवार के लोगों ने अंधविश्वास के चक्कर में फंसकर उनका चारा-पानी तक बंद कर दिया था। इसके बाद जानवरों की हालत बिगड़ने लगी। उनकी हालत को देखकर एक बार जिला पंचायत सदस्य विजयराज यादव ने चारा भिजवाया तो परिवार के सदस्यों ने उसे भी फेंक दिया। जब ग्रामीणों ने इसका विरोध किया तो वह झड़प करने पर उतारू हो गए। वह कहते थे कि देवी मां इन जानवरों को जिंदा रखेंगी। इस बीच एक-एक कर जानवर तड़पकर जान गंवाते रहे। हैरत की बात थी कि उसके बाद भी घरवा ने उनके शवों को हाथ नहीं लगाया। ग्रामीणों ने ही उन्हें किसी तरह से दफन करवाया। 

कुछ सालों से झाड़फूंक में ही नजर आता था हर समस्या का समाधान
अभयराज के परिवार की हालत देख जब भी कोई ग्रामीण उनकी मदद को तैयार होता तो परिवार के सदस्य उस पर आक्रामक हो जाते। कई बार ऐसा ही होने के बाद कोई उनकी मदद के लिए आगे नहीं बढ़ता। ग्रामीण बताते हैं कि परिवार पढ़ा लिखा था। उनकी पांच लड़कियां और तीन लड़के पढ़ने में काफी ज्यादा होशियार थे। उनके पिता नैनी स्थित एक विश्वविद्यालय में कार्यरत थे लेकिन पारिवारिक वजहों से परेशान होकर उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। गांव में उनके पास आठ बीघा खेत था। हालांकि चौथी बेटी बीनू की शादी के बाद परिवार में अचानक बदलाव आया और सब कुछ बदल गया। बीते तकरीबन दो से ढाई साल से परिवार झाड़फूंक में जकड़ा हुआ था। उसे हर समस्या का समाधान इसी में नजर आता था। इसके बाद रिश्तेदारों ने भी उनसे मतलब खत्म कर दिया था। 

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