मां-बाप करना चाहते थे शादी, एक टीचर की प्रेरणा ने बदल दी जिंदगी, जानिए मलिन बस्ती की पहली ग्रेजुएट की कहानी

Published : Sep 02, 2022, 09:32 AM IST
मां-बाप करना चाहते थे शादी, एक टीचर की प्रेरणा ने बदल दी जिंदगी, जानिए मलिन बस्ती की पहली ग्रेजुएट की कहानी

सार

यूपी के जिले प्रयागराज में मलिन बस्ती की रहने वाली प्रीति की 14 साल में माता-पिता शादी करना चाहते थे लेकिन एक टीजर की प्रेरणा से उसकी जिंदगी बदल गई। आज प्रीति अपनी बस्ती में पहली ग्रेजुएट लड़की है और बस्ती के बच्चों को फ्री में शिक्षा दे रही है।

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश की संगम नगरी प्रयागराज में एक मलिन बस्ती में रहने वाली लड़की ने अपने परिवार के साथ-साथ आसपास के लोगों की सोच बदल दी और यह तब कर पाई जब उसने पढ़ाई की। शहर की मलिन बस्ती में रहने वाली पहली लड़की जिसने ग्रेजुएशन की पढ़ाई 90 प्रतिशत अंक के साथ पूरी की है। संगम नगरी की कोइलहा मलिन बस्ती की पहली ग्रेजुएट कोई और नहीं बल्कि प्रीति वंशकार नाम की लड़की है। उसने साबित कर दिया है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। जिस बस्ती में बच्चों का बचपन ताश के पत्तों, कंचे और नशे के बीच गुजरता है, वहां से प्रीति ने निकलकर अनेक तरह की परेशानियों के बीच इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में ग्रेजुएशन में 90 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। 

मलिन बस्ती के बच्चों का भविष्य उठाने का लिया जिम्मा
प्रीति खुद तो आगे बढ़ ही रही हैं लेकिन साथ में ही अपनी बस्ती के बच्चों का भी भविष्य संवारने का जिम्मा भी उठा लिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह अपनी बस्ती यानी कूड़ा बीनने वाले बच्चों को रेज दो घंटे फ्री में पढ़ाती हैं। प्रीति वंशकार ने इंटरमीडिएट पीसीएम ग्रुप से पास किया और उसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय का एंट्रेंस एग्जाम दिया और पास किया। प्रीति ने स्नातक में हिंदी, प्राचीन इतिहास और वोकल में दाखिला लिया। उसके प्रथम वर्ष में 450 अंक में से 414 अंक मिले, फिर द्वितीय वर्ष में 450 में से 407 अंक मिले और तृतीय वर्ष में 450 में 395 अंक मिले है। अंतिम साल के फाइनल परिणाम में प्रीति को कुल 1350 अंकों में से 1216 अंक मिले है। प्रीति के अच्छे नंबरों और ग्रेजुएट होने के बाद बस्ती की और भी बेटियों को लोग पढ़ाने के प्रति जागरूक हुए हैं।

फ्री शिक्षा देने वाले एक टीचर ने दी पढ़ाई की प्रेरणा
प्रीति वंशकार का जीवन भी सात हजार आबादी वाली मलिन बस्ती के बीच अन्य बच्चों की तरह ही था। उसके पिता की मौत हो चुकी है। मां डलिया बीनकर बच्चों को पाल रही है। साल 2017 में उसने कक्षा नौ की पढ़ाई सरकारी स्कूल से की, तब वह महज 14 साल की थी। प्रीति जिस बस्ती में रहती है वहां पर ज्यादातर बच्चियों की कच्ची उम्र यानी 12 से 14 में या तो शादी कर दी जाती है या फिर किसी लड़के के साथ भाग जाती हैं। इसी वजह से प्रीति पर भी शादी का दबाव बना, उसकी मां ने उसकी शादी का दबाव बना रही थीं लेकिन इसी बीच उसकी मुलाकात बस्ती में बच्चों को फ्री एजुकेशन देने वाले एक सर से हुई। उन्होंने पढ़ाई के लिए प्रेरित किया और बस्ती में ही चलने वाली कक्षा में पढ़ने लगी। 

प्रीति का प्रशासनिक सेवाओं में जाने का है सपना
प्रीति की जिंदगी एक टीचर ने पूरी तरह से बदल दी। उनके द्वारा दी गई प्रेरणा की वजह से ही आज प्रीति खुद के पैरों में खड़ी होने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कम उम्र में शादी के नुकसान और पढ़ने-लिखने के बाद शादी के फायदे बताए। प्रीति ने तभी से ठान लिया कि पढ़-लिखकर पहले अपने पैरों पर खड़ी होकर ही शादी करूंगी। मां को भी बहुत समझाया तो वो भी मान गई। एक टीचर की प्ररेणा ने बदल दी प्रीति की जिंदगी बदल दी। आज वह खुद मलिन बस्ती के बच्चों को फ्री पढ़ा रही हैं। प्रीति के अनुसार मलिन बस्ती के बच्चों की जिंदगी में अगर थोड़ा भी परिवर्तन हो सके तो मैं समझूंगी कि हमने समाज के लिए कुछ किया। इतना ही नहीं भटके बच्चों की काउंसिलिंग भी सर की मदद से करती है ताकि वो सुधर सकें। स्नातक के बाद प्रीति एमएससी की तैयारी कर रही हैं। आगे चलकर प्रशासनिक सेवा में आकर देश के लिए भी कुछ करना चाहती है।

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