नए कृषि कानूनों समेत एमएसपी और बिजली बिल के मसलों के खिलाफ सालभर से चल रहा आंदोलन किसानों ने वापस ले लिया है। किसानों द्वारा लगातार विरोध के बाद तीन विवादित कृषि कानून वापस ले लिए गए। सिसौली पहुंचे राकेश टिकैत ने कहा कि (एमएसपी) का बड़ा मुद्दा अब भी बरकरार है। साथ ही बीकेयू नेता ने बैंकों के निजीकरण के मुद्दे पर बैंकिंग पेशेवरों द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल को समर्थन देने की सोशल मीडिया पर घोषणा की।
मुजफ्फरनगर: पिछले एक साल से किसान विभिन्न मुद्दों को लेकर दिल्ली के विभिन्न बार्डर्स पर डेरा डाले हुए थे। बीते दिनों किसानों पर थोपे गए तीन कृषि कानूनों ( Agriculture laws) को केंद्र सरकार (Central Govt.) ने वापस ले लिया। पीएम मोदी (PM Modi) ने कृषि कानूनों को वापस करने का ऐलान किया था। जिसके बाद सभी किसान और आंदोलन में शामिल लोग कि घर वापसी हो गई थी। मुजफ्फरनगर में राकेश टिकैत ने सरकार पर फिर निशाना साधा है।
केंद्र सरकार की मंशा और नीतियों पर उठाए सवाल
किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh tikait) ने बृहस्पतिवार को मुजफ्फरनगर में केंद्र सरकार की मंशा और नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि कृषि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का बड़ा मुद्दा अब भी बरकरार है। भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने दिल्ली की सीमा पर गाजीपुर में 383 दिनों के विरोध प्रदर्शन के बाद घर लौटने पर केंद्र सरकार पर अपना हमला जारी रखा।
बैंकिंग पेशेवरों द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का करेंगे समर्थन
दिल्ली की सीमाओं और देश के कुछ अन्य हिस्सों में किसानों द्वारा लगातार विरोध (Protest) के बाद तीन विवादित कृषि कानून वापस ले लिये गए। बृहस्पतिवार देर रात सर्व-खाप के मुख्यालय सोरम गांव में एक सभा को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा कि देश में एमएसपी का बड़ा मुद्दा अब भी बना हुआ है। अगर एमएसपी की मांग मान ली जाती है तो बड़ी राहत होगी। उन्होंने कहा कि फसल या खेत के साथ कोई दिक्कत नहीं है। आप (किसान) फसल उगाने के लिए खेतों में कठिन मेहनत करते हो, आप की तरफ से कोई कमी नहीं है। सरकार की तरफ से कमी है। इस देश के किसान और युवा इस बात को अब समझ चुके हैं। बीकेयू नेता ने बैंकों के निजीकरण के मुद्दे पर बैंकिंग पेशेवरों द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल को समर्थन देने की सोशल मीडिया (Social media) पर घोषणा की।