अयोध्या में चंदन की लकड़ी से बन रहा बाल राम मंदिर, 1008 किलो सोने से मढ़ा जाएगा मंदिर का शिखर

Published : Jan 21, 2020, 01:09 PM ISTUpdated : Jan 21, 2020, 01:33 PM IST
अयोध्या में चंदन की लकड़ी से बन रहा बाल राम मंदिर, 1008 किलो सोने से मढ़ा जाएगा मंदिर का शिखर

सार

मंदिर का आकार 24 फीट लंबा और इतना ही चौड़ा और 36 फीट ऊंचा होगा। इसके मध्य रामलला विराजमान का नौ फीट ऊंचा सिंहासन भी होगा। इस मंदिर का शिकर 1008 किलो सोने से मढ़ा जाएगा। इस मंदिर में एक साथ 100008 लोगों के एक साथ दर्शन व प्रसाद ग्रहण करने की सुविधा होगी।  

प्रयागराज (Uttar Pradesh)। अयोध्या में अंकोरवाट की तर्ज पर भव्य राम मंदिर निर्माण का फैसला लिया गया है। यह फैसला द्वारका-शारदा एवं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने लिया है। इस मंदिर का शिखर 1008 किलो सोने से मढ़ा जाएगा। इससे पहले चंदन की लकड़ी से भगवान राम के अस्थाई बाल मंदिर का निर्माण आरंभ करा दिया गया है। यह जानकारी मीडिया को त्रिवेणी मार्ग स्थित माघ मेला के शिविर में  शंकराचार्य के प्रतिनिधि और श्रीराम जन्मभूमि रामालय न्यास के सचिव स्वामी अविवमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दी।

इस तरह होगा मंदिर
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि मंदिर का आकार 24 फीट लंबा और इतना ही चौड़ा और 36 फीट ऊंचा होगा। इसके मध्य रामलला विराजमान का नौ फीट ऊंचा सिंहासन भी होगा। इस मंदिर का शिकर 1008 किलो सोने से मढ़ा जाएगा। इस मंदिर में एक साथ 100008 लोगों के एक साथ दर्शन व प्रसाद ग्रहण करने की सुविधा होगी।

हर गांव-मोहल्ले से संग्रह होगा एक ग्राम सोना
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि राम मंदिर निर्माण के लिए प्रत्येक गांव व शहर के हर मोहल्ले से एक ग्राम सोना संग्रह करने का लक्ष्य रखा गया है। इसका निर्णय 22 जनवरी को प्रयाग में होने वाली संत-भक्त संसद में लिया जाएगा। शंकराचार्य के शिविर में मंगलवार को प्रस्तावित मंदिर के मॉडल को दर्शनार्थ रखा जाएगा। शंकराचार्य अंकोरवाट की तर्ज पर विश्व में अद्वितीय राममंदिर का निर्माण चाहते हैं। 

जीर्णोद्धार की श्रेणी में आएगा राम मंदिर
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि लोक भावना को ध्यान में रखते हुए शंकराचार्य ने मकर संक्रांति पर सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही अस्थाई बाल मंदिर का निर्माण आरंभ करा दिया है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने शास्त्रों का हवाला देते हुए बताया कि जहां पहले से कोई मंदिर हो और जीर्ण शीर्ण हो गया हो, वहां नया निर्माण नहीं बल्कि जीर्णोद्धार कराया जाता है। अयोध्या में भी निर्मित होने वाला मंदिर नव निर्माण नहीं, जीर्णोद्धार की श्रेणी में आएगा

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