21 जनवरी को खत्म होगा इंतजार, सामने आएगी राम मंदिर निर्माण की तारीख

माघ मेला क्षेत्र में विहिप के शिविर में अयोध्या के राम मंदिर का मॉडल रखा गया है। यहां पर रखे गए मॉडल का निर्माण सीतापुर की स्वयंसेवी संस्थाओं ने किया है। मेले तक यहां आने वाले श्रद्धालु इसका दीदार कर सकेंगे।
 

प्रयागराज (Uttar Pradesh) । अयोध्या में राम लला के मंदिर के निर्माण की रूपरेखा इस माघ मेला में तय हो जाएगी। इसके लिए चल रही तैयारी अंतिम दौर में है। खबर है कि 20 जनवरी को बैठक में मंदिर निर्माण की तारीख तय होगी। इसके बाद अगले दिन 21 जनवरी को मंदिर निर्णाण की तारीख की भी औपचारिक घोषणा सार्वजनिक कर दी जाएगी। इसके लिए देशभर के साधु-संत जुट रहे हैं, जिसमें सीएम योगी आदित्यनाथ भी शामिल हो सकते हैं। इसके लिए उन्हें विहिप की तरफ आमंत्रण भी भेजा गया है।

बैठक में ये भी होंगे शामिल
बैठक की अध्यक्षता महंत नृत्य गोपाल दास करेंगे। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जून अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, साध्वी ऋतंभरा, बाबा रामदेव सहित देश भर के संत महात्मा शामिल होंगे। बैठक में ही राम मंदिर निर्माण की तारीख तय की जाएगी। साथ ही मंदिर के ट्रस्ट की रूपरेखा भी तय होगी कि उसमें किसे शामिल किया जाएगा। 21 जनवरी को संत सम्मेलन का भी आयोजन किया जाएगा। उसमें मंदिर को लेकर हुए निर्णय का फैसला सार्वजनिक किया जाएगा।

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एक दिन पहले मॉडल का हुआ अनावरण
एक दिन पहले विहिप की ओर से तैयार किए गए राम मंदिर के मॉडल का अनावरण केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने किया। वहीं, माघ मेला में लगे विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के शिविर में 20 जनवरी को केंद्रीय मार्गदर्शन मंडल की बैठक होगी। 21 को देश भर के साधु-संतों का सम्मेलन होगा। उसमें राम मंदिर के निर्माण की तारीख और ट्रस्ट से जुड़े मामले पर फैसला होगा। उस बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित देश भर के संत महात्मा शामिल हो सकते हैं। मंथन के बाद अगले दिन इसकी घोषणा होगी।

दर्शन करने को रखा गया मॉडल
माघ मेला क्षेत्र में विहिप के शिविर में अयोध्या के राम मंदिर का मॉडल रखा गया है। यहां पर रखे गए मॉडल का निर्माण सीतापुर की स्वयंसेवी संस्थाओं ने किया है। मेले तक यहां आने वाले श्रद्धालु इसका दीदार कर सकेंगे।

1989 में तैयार मॉडल के स्वरूप में होगा मंदिर का निर्माण
विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने कहा कि जिस मॉडल को 1989 में कुंभ के दौरान प्रयाग में रखा गया था, उसी मॉडल का यह स्वरूप है। इसी मॉडल के आधार पर भव्य मंदिर का निर्माण होना है। उसे परिवर्तित नहीं किया जाएगा, क्योंकि उसके पत्थर 20 वर्ष से तराशे जा रहे हैं। 

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