अयोध्या में दीपोत्सव के लिए बसाया गया रामायण लोक, रेत पर उकेरे गए चित्र और द्वार निर्माण का काम भी हुआ पूरा 

अयोध्या में दीपोत्सव को और भी भव्य बनाने के लिए लगातार तैयारी जारी है। इसी बीच रेत पर रामायण काल से जुड़े हुए चित्रों को उकेरा गया है। बनाए गए खास 15 द्वारों का काम भी लगभग पूरा हो चुका है। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 22, 2022 6:49 AM IST

अयोध्या: दिवाली पर भव्य और दिव्य दीपोत्सव समारोह में इस बार 17 लाख दीये जलाए जाएंगे। इसी के साथ एक नया रिकॉर्ड बनाने की तैयारी की जा रही है। अयोध्या में 23 अक्टूबर को दिवाली की पूर्व संध्या पर होने वाले दीपोत्सव को लेकर लगातार तैयारी जारी है। इसको लेकर निषादराज, अहिल्या समेत प्रभु श्री राम के परिवार के सदस्यों के नामपर द्वार सजाए गए हैं। इसके अलावा 10 स्वागत द्वार लोगों को इतिहास की अनछुई गलियों में लेकर जाएंगे। 10 प्रवेश द्वारों के साथ ही रामायण काल के माहौल को जीवंत करने वाले 15 द्वारों का निर्माण भी लगभग पूरा हो चुका है। पर्यटन विभाग को ही द्वारों को दीयों से सजाने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। 

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त्रेतायुग की दिवाली की अनुभूति के लिए बनाए गए द्वार
पर्यटन विभाग के अधिकारी आरपी यादव की ओर से बताया गया कि अयोध्या को अलग पहचाने देने के लिए योगी सरकार काम कर रही है। इसी कड़ी में इन द्वारों को भी बनाया गया है जिससे लोगों को त्रेतायुग के दौरान दिवाली उत्सव की अनुभूति हो सके। इन 15 द्वारों के नाम निषादराज द्वार, अहिल्या द्वार, राम द्वार, दशरथ द्वार, लक्ष्मण द्वार, सीता द्वार, शबरी द्वार, हनुमान द्वार, भरत द्वार, लव-कुश द्वार, सुग्रीम द्वार, जटायु द्वार, तुलसी द्वार रखा गया है। इसके अलावा दीपों से सजी राम की पैड़ी पर भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुहन और हनुमान की मूर्तियों के पास सेल्फी प्वाइंट बनाए गए हैं।

रेत पर जीवंत होंगे रामायण कालीन प्रसंग 
अयोध्या की रेत पर रामायण कालीन चरित्रों को भी उकेरा जा रहा है। रेत पर उकेरी जा रही आकृतियों के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि यह काम रामायण सीरीज के आधार पर किया गया है। भगवान राम के लंका विजय के बाद अयोध्या आगमन के समय से विभिन्न प्रसंगों को भी यहां दिखाया जाएगा। उकेरी जा रही आकृतियों के क्रम में सबसे पहले प्रभु श्री राम के पुष्पक विभाग में आगमन का प्रसंग मिलेगा। इसके बाद केवट अनुराग का प्रसंग, भरत मिलाप और चरण वंदना के माध्यम से चरित्रों को कृति के माध्यम से जीवंत किया जाएगा। भगवान राम के अयोध्या आगमन के बाद प्रजा द्वारा ढिंढोरा पिटवाना, माताओं द्वारा आरती उतरवाना और राम दरबार की झांकी का चित्रण किया गया है। 

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