कई चुनावों में मिली हार के बाद भी नहीं टूटी हिम्मत, करोड़पति उम्मीदवारों से टक्कर के लिए तैयार है जलेबीवाला

यूपी के जिले सहारनपुर में निकाय चुनावों में मिली हार के बाद भी जलेबीवाला की हिम्मत नहीं टूटी है। पांचवीं बार फिर करोड़पति उम्मीदवारों को टक्कर देने के लिए वह बिल्कुल तैयार है। उसका कहना है कि वह मरते दम तक चुनाव लड़ता रहेगा। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 19, 2022 9:47 AM IST

सहारनपुर: निकाय चुनाव को लेकर अभी से तैयारियां शुरू हो चुकी है। इसी बीच उत्तर प्रदेश के जिले सहारनपुर में जलेबीवाला करोड़पति उम्मीदवारों को टक्कर देने के लिए इस बार भी चुनावी मैदान में नजर आएगा। रोजाना 100 से 200 रुपए रोज कमाने वाला असगर परवेज (जलेबीवाला) पिछले चार चुनाव हार चुका है पर उसके बाद भी वह टूटा नहीं है। एक बार फिर वह चुनाव लड़ने जा रहा है। जलेबीवाले का कहना है कि वह मरते दम तक चुनाव लड़ता रहेगा। इतना ही नहीं उनका कहना यह भी है कि उनके पास समय ही समय है, बस खिदमद करनी है। वह साइकिल से अपना चुनाव प्रचार करते हैं। उनके दो बेटे हैं, वो भी मजदूरी करके अपना गुजारा करते हैं।

दूसरे नंबर में रहकर दो बार करना पड़ा संतोष
जलेबीवाला (असगर परवेज) का कहना है कि साल 1990 में पहली बार सेक्टर-30 से चुनाव लड़ा था। इस दौरान पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री काजी रशीद मसूद ने लोकदल से टिकट दिया और पूरे चुनाव में सिर्फ दो हजार रुपए खर्च हुए। इस चुनाव में 808 वोट मिले लेकिन निराशा हाथ लगी क्योंकि वह यह चुनाव हार गए। इसके बाद जलेबीवाला ने साल 1995 में सेक्टर-31 से लड़ा तो करीब एक हजार वोट मिले। तब दूसरे नंबर पर रहा मगर जीत दर्ज नहीं हो सकी। आगे बताते है कि फिर साल 2000 में वार्ड नंबर-55 से चुनाव लड़ा और इस बार 1100 वोट मिले लेकिन इस बार भी हार का ही मुंह देखना पड़ा। दूसरी बार की तरह इस बार भी दूसरे नंबर पर रहकर ही संतोष करना पड़ा। उसके बाद शहर में कोई भी नगरपालिका का चुनाव नहीं हुआ। तत्कालीन सीएम मायावती ने साल 2009 में नगर निगम की घोषणा कर दी लेकिन इसका चुनाव साल 2017 में हुआ।

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आठ साल बाद फिर जलेबीवाला ने अजमाई किस्मत
असगर ने बताया कि आठ साल बाद यानी साल 2017 में निगम के चुनाव में चौथी बार फिर किस्मत अजमाई लेकिन इस बार फर्क इतना था कि पुरानी चली आ रही रवायत बदल चुकी थी। प्रत्याशी जीत के लिए करोड़ों खर्च कर रहे थे और इसके बदले जलेबीवाला ने सादगी से चुनाव लड़ा। वार्ड नंबर-66 से जलेबीवाला खड़ा हुआ और इस बार उसका मुकाबला करोड़पति पार्षद गुलशेर से था लेकिन वह पीछे नहीं हटा। चुनाव हार गया लेकिन हमेशा की तरह इस बार भी दूसरे नंबर पर रहा। इस बार पहले चुनावों से ज्यादा 1479 वोट मिले थे।
  
जलेबी खिलाना बोलकर मुस्कुराकर चले गए थे नेताजी
शहर के जलेबीवाला असगर ने बताया कि जब मुलायम सिंह यादव राज्य के सीएम थे, तब वह सहारनपुर पहुंचे थे। तब उनसे मिलने का सौभाग्य मिला और जब वह खड़े हुए तो उनकी बराबर वाली सीट पर बैठ गया। आगे बताते है कि फिर वह मुस्कुराए और बोले-क्या कर रहे हो मियां। नाम क्या है आपका। उनके पूछते ही जलेबीवाला ने तुंरत बोला असगर परवेज। फिर नेताजी ने पूछा- क्या करते हों तो असगर ने कहा कि जलेबी की रेहड़ी लगाता हूं। जिसके बाद मुलायम सिंह ने कहा कि कभी खिलाना...ये बोलकर वह मुस्कुराकर चले गए।

अखिलेश और मुलायम से मुलाकात के बाद भी नहीं है कोई फोटो
असगर का कहना यह भी है कि इसकी चर्चा मुलायम सिंह ने बेटे अखिलेश यादव से भी की थी। जिसके बाद अखिलेश सीएम बनने के बाद सहारनपुर आए। तब उन्होंने जलेबीवाले के बारे में पूछा और जलेबी भी मंगवाई और मिलने के लिए भी बुलाया था। दोनों से मुलाकात करने के बाद भी किसी के साथ फोटो नहीं है। इसका अफसोस हमेशा रहेगा क्योंकि स्मार्ट फोन की जगह बटन वाला फोन है। बता दें कि असगर परवेज सुबह से शाम तक कमेले की पुलिया पर जलेबी और पकौड़ी की रेहड़ी लगाते हैं। यहां पर ज्यादातर चुनावी चर्चाएं हो होती है। जलेबीवाला लोगों को राजनीति के किस्से सुनाते हैं और लोगों के द्वारा बताए गई कहानियों को सुनते है।  

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