सहारनपुर: दारुल उलूम आयोजित करेगा राष्टीय सम्मेलन, आधुनिक शिक्षा के साथ अन्य कई अहम मुद्दों पर की जाएगी चर्चा

यूपी के देवबंद में दारुल उलूम द्वारा 30 अक्टूबर को एक बड़ा सम्मेलन आयोजित किया रहा है। यूपी मदरसों के सर्वे के बाद इस सम्मेलन के जरिए 4500 मदरसा संचालक इसमें हिस्सा लेंगे। मदरसों की शिक्षा को आधुनिक बनाए जाने के अलावा अन्य कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 30, 2022 5:39 AM IST

सहारनपुर: दारुल उलूम देश भर में अपनी इस्लामी तालीम के लिए जाना जाता है। यह देशभर के मदरसों का सबसे बड़ा संगठन है। बता दें कि इससे 4500 मदरसे जुड़े हुए हैं। जिनमें के केवल 2100 मदरसे केवल उत्तर प्रदेश में हैं। यूपी में मदरसों के सर्वे के बाद पहली बार 30 अक्टूबर यानि कि रविवार को कुल हिंद राब्ता-ए-मदारिस-इस्लामिया का सम्मेलन बुलाया जा रहा है। संस्था में इस विभाग द्वारा आयोजित किए जाने वाले सम्मेलन की तैयारियां शुरू हो गई हैं। आयोजित सम्मेलन के बारे में ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि मदरसों में आधुनिक शिक्षा की अनिवार्यता के संबंध में इस सम्मेलन को बुलाया जा रहा है। 

4500 मदरसा संचालक लेंगे भाग
बता दें कि रशीदिया मस्जिद में आयोजित सम्मेलन में देशभर से दारुल उलूम में साढ़े चार हजार मदरसों के संचालक भाग लेंगे। इससे पहले 12 और 13 सितंबर को दारुल उलूम की सुप्रीम पावर मजलिस-ए-शूरा की तीन दिवसीय बैठक की गई थी। इस बैठक के दौरान कुल हिंद राब्ता-ए-मदारिस-ए-इस्लामिया का इजलास बुलाए जाने का फैसला लिया गया था। इसके अलावा दारुम उलूम ने बाकायदा 27 अक्टूबर को उससे जुड़े सभी मदरसों को पत्र लिखा था। इस लेटर में जानकारी दी गई थी कि 30 अक्टूबर को सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। 

कई अहम मुद्दों पर की जाएगी चर्चा
वहीं बीते 29 अक्टूबर को दारुल उलूम देवबंद में कुल हिंद राब्ता-ए-मदारिस-ए-इस्लामिया की वर्किंग कमेटी की बैठक हुई थी। इस सम्मेलन में मदरसों की समस्याओं के सामाधान पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और सुचारु रूप से चलाने के अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा कर फैसले लिए जाएंगे। बता दें कि कुल हिंद राब्ता-ए-मदारिस-ए-इस्लामिया की वर्किंग कमेटी में कुल 50 सदस्य है। दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने जानकारी देते हुए बताया कि दारुल उलूम देवबंद का बुनियादी मकसद मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को अधिक बेहतर बनाने और मदरसों के निजाम को ठीक रखने के साथ ही उनकी समस्याओं का समाधान करना है।

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