यूपी के संतकबीर नगर के ढोढ़ई गांव में दिवाली नहीं मनाई गई। ऐसा इसलिए क्योंकि परिवार के पांच लोगों की एक साथ मौत हो गई। 40 दिन के अंदर इंजीनियर का पूरा परिवार खत्म हो गया। पांचों के शव गांव तक नहीं पहुंचे क्योंकि शव के खराब होने का डर था।
संतकबीर नगर: उत्तर प्रदेश के जिले संतकबीर नगर में इस बार दिवाली नहीं मनाई गई। ऐसा इसलिए क्योंकि रविवार की देर शाम बस्ती के मुंडरेवा क्षेत्र के खुजौला के पास हाईवे पर दंपत्ति समेत परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई। पांचों सदस्य संतकबीर नगर के ढोढ़ई गांव में परिवार के साथ दीपावली मनाने आ रहे थे। पूरे गांव में मातम छाया हुआ है। हर किसी की आंखे नम हैं और सभी अपने-अपने घर के बाहर बैठे हैं। वहीं गांव की महिलाएं मृतक विनोद के घर के बाहर बैठी हुई है। सड़क दुर्घटना में इनका पूरा परिवार खत्म हो गया। बीती 16 सितंबर को विनोद के पिता की भी मौत हो गई थी। अब बेटे-बहू, पोता-पोती और पत्नी की भी मौत हो गई और कोई भी अर्थी उठाने वाला भी नहीं बचा है।
गांव तक नहीं पहुंचे थे पांचों के शव, दो दिन पहले हुई थी बात
बस्ती में विनोद का परिवार समेत कार हादसे में मौत हो गई। जिसके बाद से उसके घर में रिश्तेदारों का जमावड़ा लगा हुआ है। इस हादसे से सभी सदमे में है और ग्रामीण विनोद को याद कर रो रहे है। सभी का कहना है कि दो दिन पहले ही बोला था कि इस बार परिवार और गांव के साथ यादगार दिवाली मनाएंगे। लखनऊ से गांव ही आ रहा था पर दुर्घटना ने सब खत्म कर दिया। सभी का कहना है कि हम लोग अब कभी भी इस दर्द को भूल नहीं पाएंगे। एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत पर गांव का हर एक सदस्य बहुत दुखी है। दरअसल लखनऊ में जल निगल में AE के पद पर तैनात विनोद अपनी मां सरस्वती, पत्नी नीलम (34), बेटी श्रेया और बेटे यथार्थ के साथ कार से दीवाली मनाने अपने गांव जा रहे थे। इसी बीच बस्ती में हुए सड़क हादसे में सभी की मौत हो गई। सबके शवों का पोस्टमॉर्टम बस्ती में हुआ और अंतिम संस्कार भी यहीं कर दिया गया। विनोद के रिश्तेदार बस्ती पहुंच चुके थे। शव खराब होने के कारण गांव नहीं भेजे गए।
ग्रामीणों ने विनोद के घर के बाहर कर दी थी सफाई
ढोढ़ई गांव के रहने वाले लोग विनोद को बहुत मानते थे। मृतक के पिता की मौत के बाद गांव वाले घर में कोई नहीं रहता था। पूरा परिवार लखनऊ में ही रहता था। गांव के लोगों को पता था कि विनोद आने वाला है इस वजह से उसके घर के बाहर सफाई कर रखी थी। इतना ही नहीं घर की सजावट का सामान भी ले आए थे। रात में जलाने के लिए दीये, मोमबत्ती भी लाए थे लेकिन सारी तैयारियां बर्बाद हो गई। जहां यादगार दिवाली मनाने की योजना थी, साथ में खुशियां बांटने की तैयारी थी वहां अब मातम हो गया है। दीपावली का सारा सामान घर के किनारे में रखा हुआ है। वहीं विनोद के ससुराल पक्ष के लोगों का रो-रोकर बुरा हाल है।
गांव के लोगों ने अपना बड़ा खो दिया, पढ़ने के लिए करते थे प्रेरित
ग्रामीणों का कहना है कि पिता की मौत को एक महीना भी नहीं हुआ था और अब पूरा परिवार ही खत्म हो गया है। आगे कहते है कि विनोद अच्छे इंसान थे, लखनऊ में रहने के बाद भी वह गांव के हर सदस्य को याद रखे थे। इतना ही नहीं हर एक महीने में परिवार के साथ दो बार आते और सबसे मिलते थे। आगे कहते है कि उनके बच्चे भी बहुत प्यारे थे और सबको पहचानते थे। परिवार के सदस्य की तरह सभी को समझते थे। इतना ही नहीं किसी भी तरह की परेशानी में वह हमेशा खड़े रहे। लोगों का यहां तक कहना है कि उनकी मौत से इस गांव ने अपना बड़ा भाई खो दिया है। इतना ही नहीं गांव वालों का यह भी कहना है कि उनको कभी कोई नहीं भूल सकता। उन्होंने हम लोगों के लिए बहुत किया है। हमेशा आगे बढ़ाने की कोशिश की है। उनके बारे में जितना बोले उतना कम है और वो सभी से बहुत प्यार करते थे। ससुराल पक्ष की महिलाएं कुछ भी बोल नहीं पा रही हैं और उनका रो-रोकर बुरा हाल है।