
अनुज तिवारी
वाराणसी: उत्तर प्रदेश में वाराणसी मंडल के चंदौली जिले का सैयदराजा विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद ही महत्वपूर्ण सीट माना जाता हैं। ये विधानसभा सीट उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पे पढ़ता हैं। विधानसभा क्षेत्र की बड़ी संख्या बिहार सीमा से सटा हुआ है। इस क्षेत्र का प्रवेश द्वार उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल माना जाता हैं। इस विधानसभा के लोग कृषि पर आधारित हैं। बुनियादी मुद्दे इस विधानसभा क्षेत्र का चिकित्सा और शिक्षा हैं। पहले इस विधानसभा क्षेत्र का नाम चंदौली हुआ करता था, लेकिन परिसीमन के बाद इसका नाम बदलकर सैयदराजा हो गया।
क्या है सैयदराजा विधानसभा का इतिहास
1952 में पहली बार इस सीट पर कांग्रेस पार्टी के पंडित कमलापति त्रिपाठी विधायक चुने गए थे। कमलापति त्रिपाठी प्रदेश के मुख्यमंत्री और रेल मंत्री रहे हैं। 2002 में चुनाव हुआ जिसमें बसपा के शारदा प्रसाद ने सपा के राम उजागर गोंड को हराकर जीत हासिल की थी। वही 2007 में शारदा प्रसाद ने पुनः जीत दर्ज की थी। 2012 में इस सीट का नाम बदल कर सैयदराजा कर दिया गया ।
2017 में चर्चा का विषय बना यह विधानसभा सीट
2012 में इस सीट का नाम बदल कर सैयदराजा कर दिया गया और यह सीट सामान्य हो गई। इस सीट से निर्दल प्रत्याशी मनोज सिंह डब्लू ने जेल से चुनाव लड़ रहे और बाहुबली बृजेश सिंह को हराया। लेकिन 2017 के चुनाव में बृजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह ने अपने चाचा की हार का बदला लिया और सैयदराजा विधानसभा की सीट पर कब्जा जमा लिया। 2017 के विधानसभा चुनाव में सैयदराजा सीट पर त्रिकोणात्मक लड़ाई हुआ थी। इस चुनाव में भाजपा, सपा और बसपा में लड़ाई थी। लेकिन 2017 मोदी लहर में यह सीट भाजपा की झोली में आई और सुशील सिंह ने जीत दर्ज की
जाति एवं जनसंख्या समीकरण
सैयदराजा विधानसभा क्षेत्र में कुल 3 लाख 21 हजार मतदाता हैं, जिसमें 1 लाख 75 हजार पुरुष मतदाता हैं और महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 46 हजार है। जाति समीकरण की बात करें तो इस विधानसभा में सभी वर्ग के लोग रहते हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में क्षत्रिय , यादव मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी संख्या है। वही इस विधानसभा क्षेत्र में हरिजन, ब्राह्मण, मुस्लिम, मल्लाह मतदाता हैं।
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