अफवाह निकली स्कूलों की फीस माफ करने का फरमान, योगी सरकार ने दिया ऐसा आदेश

UP में स्कूलों द्वारा अभिभावकों से फीस वसूली के मामले में प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला की ओर से कड़े निर्देश जारी हुए हैं। अब स्कूल अभिवावकों से एडवांस फीस की वसूली नहीं कर सकेंगे और न ही इस दौरान फीस को लेकर किसी छात्र का नाम स्कूल से काटा जाएगा। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 8, 2020 10:54 AM IST / Updated: Apr 08 2020, 04:26 PM IST

लखनऊ(Uttar Pradesh ). कोरोना संकट और लॉकडाउन में स्कूलों द्वारा अभिभावकों से जबरन फीस वसूली के मामले में यूपी की योगी सरकार सख्त हो गयी है। सरकार ने इसको लेकर एक आदेश जारी कर दिया है। प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला की ओर से इसको लेकर कड़े निर्देश जारी हुए हैं। अब स्कूल अभिवावकों से एडवांस फीस की वसूली नहीं कर सकेंगे और न ही इस दौरान फीस को लेकर किसी छात्र का नाम स्कूल से काटा जाएगा। 

लॉकडाउन के बाद से लगातार ऐसे अफवाहों का बाजार गर्म था कि  सरकार ने निजी स्कूलों को तीन महीने की फीस माफ करने का आदेश दिया है। कहीं-कहीं ऐसी भी अफवाहें थीं कि स्कूल प्रबंधन द्वारा अभिवावकों  पर जबरन फीस वसूली का दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे में  सूबे के डिप्टी सीएम ने मीडिया से दो दिन पूर्व ही इस मामले में जल्द ही आदेश जारी कराने की बात कही थी। 

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जानें सरकार ने किया किया फैसला 
प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला की ओर से जारी आदेशों में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 2 (जी) के तहत कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को महामारी घोषित किया गया है, जिसे रोकने के लिए लॉकडाउन घोषित किया है। लॉकडाउन के कारण कई छात्रों के अभिभावकों के कारोबार भी प्रभावित हुए हैं। कई स्कूल ऐसे वक्त में भी अभिभवाकों से अप्रैल, मई और जून की एडवांस फीस के लिए दबाव बना रहे हैं, जो मानवीय दृष्टिकोण से गलत है। आपदा के इस दौर में स्कूल मासिक स्तर पर ही फीस लेंगे। ऐसे में स्कूल स्कूल अप्रैल, मई और जून की एडवांस फीस अभिभावकों से नहीं वसूल करेंगे और न ही उन पर फीस जमा करने के दबाव डालेंगे। शुल्क न जमा होने के कारण किसी छात्र का नाम नहीं काटा जाएगा और न ही उनसे विलंब शुल्क वसूला जा सकेगा। 

यहां कर सकते हैं स्कूलों की मनमानी की शिकायत 
जारी आदेश में यह भी कहा गया है कि आपदा के दौरान अगर कोई अभिभावक स्कूल से फीस स्थगित करने की बात कहे, तो स्कूल प्रबंधन को इस पर मानवीय दृष्टिकोण से सकारात्मक विचार करे। स्थगित की जाने वाली फीस को आगामी महीनों में समायोजित किया जाए।आदेश में अभिभावकों को यह अधिकार भी दिया है कि अगर स्कूल आदेश को लेकर शिथिलता बरतेंगे तो स्ववित्त पोषित स्वतंत्र अधिनियम 2018 की धारा 8 (1) के तहत जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला शुल्क नियामक समिति से शिकायत कर सकते हैं। 
 

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