यूपी के जिले शाहजहांपुर में दिल में बेटे की चाहत रखे एक दंपत्ति के घर सातवीं बार भी बेटी ने जन्म लिया। अपनी गरीबी का हवाला देकर दंपत्ति ने बेटी की अच्छी परवरिश के लिए डॉक्टरों से गुहार लगाई। जिसके बाद एक मुस्लिम दंपति ने मासूम को गोद ले लिया।
शाहजहांपुर: उत्तर प्रदेश के जिले शाहजहांपुर में एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां के एक हिंदू परिवार में जन्मी बेटी को अब मुस्लिम दंपति पाल पोसकर बड़ा करेगा। शहर में बेटे की चाहत रखे एक दंपति के घर सातवीं बार भी बेटी ने जन्म लिया है। हिंदू दंपति ने अपनी गरीबी का हवाला देते हुए बेटी की अच्छी परवरिश के लिए डॉक्टरों से गुहार लगाई कि किसी ऐसे परिवार को बेटी गोद दे दो जिसको बेटी की ख्वाहिश हो। डॉक्टरों से लगाई गुहार के बाद उसी गांव के रहने वाले एक मुस्लिम परिवार को पैदा हुई बेटी को गोद दे दिया गया। दंपति के इस कदम की सभी ओर तारीफ होने के साथ-साथ चर्चा का विषय बनी हुई है।
बेटे की आस लगाए दंपति को सातवीं बार भी हुई बेटी
जानकारी के अनुसार शहर के निगोही के तिलोका गांव के रहने वाले रमाकांत खेतीबाड़ी कर पत्नी संगीता देवी और छह बेटियों की परवरिश कर रहे हैं। जिसमें से एक बेटी की मौत हो चुकी है। दंपति को लगातार बेटियां पैदा होने पर दिल में बेटे की चाह थी ताकि बुढ़ापे में बेटा उनका सहारा बन सके। पर बुधवार की रात गर्भवती संगीता देवी ने निगोही सीएचसी पर सातवीं बार भी बेटी को ही जन्म दिया। बेटी के जन्म से दंपति मायूस नहीं है लेकिन उनका कहना है कि सिर्फ पांच बीघा खेती के सहारे परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल है।
सातवीं बेटी की अच्छी परवरिश के लिए उठाया कदम
पांच बीघा खेती के सहारे परिवार का लालन-पालन कर रहे रमाकांत ने सातवीं बेटी की अच्छी परवरिश के लिए एक बड़ा कदम उठा लिया। दंपत्ति ने सीएचसी पर डॉक्टरों से बातचीत कर बेटी को किसी ऐसे परिवार को गोद देने का मन बना लिया। जो निसंतान हो और बेटी की परवरिश की ख्वाहिश रखता हो। उसके बाद ऐसे परिवार की तलाश शुरू की गई। उसके बाद जिस गांव में रमाकांत रहता है, उसी गांव में रहने वाले दंपति नईम और शाजिया की शादी को छह साल बीत चुके हैं लेकिन उनको कोई संतान नहीं है।
मुस्लिम दंपति सूचना मिलते ही पुहंचा सीएचसी
शाजिया ब्यूटी पार्लर चलाती हैं और सीएचसी पर तैनात डॉक्टरों ने दोनों से संपर्क किया। दोनों रात में ही सीएचसी पहुंच गए, जहां पर रमाकांत ने पैदा हुई सातवीं बेटी को शाजियां को गोद दे दिया। इतना ही नहीं रमाकांत ने अपने बेटी देते समय एक शर्त रखी कि बेटी की अच्छी परवरिश करना होगा। उसके बाद इस वादे से शाजियां ने बेटी को गोद में ले लिया। शादी के इतने सालों बाद बच्चे की चाह पूरी नहीं होने पर अचानक से बच्चा मिल जाने से दोनों के चेहरे में खुशी देखने को मिली।
कानूनी प्रक्रिया की दोनों परिवार कर रहे हैं बात
अब एक हिंदू परिवार की बेटी मुस्लिम परिवार के घर का आंगन रौशन करेगी। इसके साथ ही दोनों परिवार बेटी को गोद देने की कानूनी प्रक्रिया कोर्ट के जरिए करने की भी बात कर रहे हैं। वहीं इस मामले में एसओ रविंद्र सिंह ने बताया कि मामला जानकारी में आया है। दंपति के द्वारा उठाया गया कदम काफी तारीफ करने वाला है। बेटी पैदा होने पर आपसी सहमति से उसको निसंतान दंपत्ति को गोद दे दिया गया है। पूरे इलाकों में इस विषय की चर्चा होने के साथ-साथ दोनों परिवारों की तारीफ हो रही है।