
वाराणसी (Uttar Pradesh) । लॉकडाउन के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच दूसरे राज्यों में फंसे लोग जान जोखिम में डालकर घर वापसी कर रहे हैं। जिन्हें लेकर तरह-तरह की कहानियां सामने आ रहीं हैं। इस दौरान मजबूरी और बेबसी की कई तस्वीरें भी देखने को मिली हैं, किंतु पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में जो तस्वीर दिखाई दी इसने उस 'श्रवण कुमार' की याद दिला दी जो अपने मां बाप को कंधे में बैठाकर तीर्थ यात्रा पर लेकर निकला था। हालांकि इस तस्वीर में शेर सिंह नाम का शख्स अपनी मां यशोदा को साइकिल में पीछे फल की टोकरी पर बैठाकर नेपाल की ओर निकल पड़ा है।
यह है पूरा मामला
नेपाल निवासी शेर सिंह पटना के एक निजी कंपनी में काम करता है। इस समय पत्नी और बच्चे नेपाल में हैं, जबकि वो अपनी मां के साथ पटना में था। लॉकडाउन के कारण कंपनी बंद होने और परिवार के नेपाल में होने से उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। कोई रास्ता न दिखाई देने पर वह साइकिल में पीछे फल की क्रेट बांधकर और उसमें कपड़े रखकर सीट तैयार किया, फिर उसमें अपनी 70 साल की मां यशोदा को बैठा लिया और एक हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबे सफर पर निकल पड़ा। सुनसान सड़कों पर घर पहुंचने की जिंदा उम्मीदों के साथ शेर सिंह दिन में लगातार साइकिल चला रहा है और शाम को किसी घर, बस्ती या पेड़ के नीचे समय बिताता है।
इस तरह कर रहा सफर
शेर सिंह का कहना था कि बिहार से नेपाल की सीमा सील होने के कारण वो वाराणसी, जौनपुर, प्रतापगढ़, गोंडा, बहराइच होते हुए नेपाल जाना चाहता है। शेर सिंह वाराणसी के मिर्जामुराद हाइवे के पास पहुंचा तो मदद में लगे कुछ नौजवानों की नजर उस पड़ी। पूछताछ की तो पहले घबराया, लेकिन मदद का एहसास होने पर खुल गया।
लोगों से किया मन की बात
लोगों की मानें तो लगातार साइकिल चलाने से युवक की जीभ में पपड़िया जम गई हैं। इसलिए वो ठीक से बोल नहीं पा रहा है। हालांकि शेर सिंह ने बताया कि मां को लेकर नेपाल जाना है। पत्नी, बच्चे नेपाल में ही है। कुछ दिन सबके साथ रहूंगा और जब लॉकडाउन खत्म होगा तो वापस लौटूंगा, जिसने भी इन मां-बेटे को देखा, उसका कलेजा कांप गया। हालांकि जिसने भी शेर सिंह को देखा, हर कोई कह उठा- यह तो कलियुग में कोरोना काल का श्रवण कुमार है।
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