अयोध्या में कोई 5 एकड़ जमीन नहीं लेता तो सरकार शिया वक्फ बोर्ड को दे जमीन, बनाएंगे राम नाम पर अस्पताल: वसीम रिजवी

एक ओर जहां कुछ मस्जिद पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला किया है। वहीं, शिया वक्फ बोर्ड का कहना है कि अगर सुन्नी वक्फ बोर्ड और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) अयोध्या में मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन नहीं लेता है तो सरकार को वह जमीन शिया वक्फ बोर्ड को दे दे।

Asianet News Hindi | Published : Nov 25, 2019 9:44 AM IST

लखनऊ (Uttar Pradesh). एक ओर जहां कुछ मस्जिद पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला किया है। वहीं, शिया वक्फ बोर्ड का कहना है कि अगर सुन्नी वक्फ बोर्ड और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) अयोध्या में मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन नहीं लेता है तो सरकार को वह जमीन शिया वक्फ बोर्ड को दे दे। बोर्ड वहां भगवान राम के नाम पर अस्पताल बनवाएगा, जहां मंदिर-मस्जिद के अलावा गुरुद्वारा और चर्च भी होगा। बता दें, बीते 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- जन्मभूमि रामलला विराजमान की है। अयोध्या के किसी प्रमुख स्थान पर सरकार मस्जिद बनवाने के लिए 5 एकड़ भूमि मुस्लिम पक्षकारों को दे। 

पूरी दुनिया में कहीं नहीं है राम नाम पर विवाद
शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने कहा, पूरी दुनिया में भगवान राम के नाम पर कोई विवाद नहीं है। इस्लामी मान्यता के अनुसार, पैगंबर मोहम्मद की तुलना में पहले जन्म लेने वाला कोई भी महान पैगंबर का पूर्वज है। गर्व होना चाहिए क्योंकि हजारों साल पहले भगवान राम यहां पैदा हुए। 

26 नवंबर को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की बहम बैठक 
वहीं, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने 26 नवंबर को लखनऊ में एक बैठक बुलाई है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर विचार होगा। बोर्ड चेयरमैन जुफर फारुकी ने बताया- बैठक में हम तय करेंगे कि फैसले के अनुपालन में बोर्ड को क्या करना है? साथ ही यह फैसला भी होगा कि पांच एकड़ जमीन कुबूल करनी है या नहीं। अगर जमीन लेनी चाहिए तो वहां मस्जिद के अलावा क्या-क्या निर्माण होगा। 

ओवैसी के साथ हुई बैठक में लिया गया था पुनर्विचार याचिका का फैसला
बीते दिनों लखनऊ में हुई AIMPLB की बैठक में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का निर्णय लिया गया। बोर्ड की तरफ से कासिम रसूल इलियास ने कहा, याचिका दाखिल करने के साथ मस्जिद के लिए दी गई 5 एकड़ जमीन को भी मंजूर नहीं करने का फैसला लिया गया है। मुसलमान किसी दूसरे स्थान पर अपना अधिकार लेने के लिए उच्चतम न्यायालय नहीं गए थे। वहीं, जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा था, हमें पता है पुनर्विचार याचिका का हाल क्या होना है, लेकिन फिर भी हमारा यह हक है। बता दें, उस बैठक में एएमआईएएम अध्यक्ष असददुद्दीन ओवैसी भी शामिल थे।

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