बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल समेत तमाम बड़े चेहरे सिराथू पहुंचे हैं। केशव मौर्य नामांकन से पहले एक रोड शो भी करेंगे। इसके बाद वो नामांकन करेंगे। सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया है।
कौशांबी: सिराथू विधानसभा सीट पर केशव मौर्य (keshav Prasad Maurya) के नामांकन के लिए लगभग सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। डिप्टी सीएम केशव मौर्य के नामांकन को पूरी तरह से हाई प्रोफाइल बना दिया गया है। जगह जगह पर लोग केशव मौर्य का स्वागत कर रहे हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल समेत तमाम बड़े चेहरे सिराथू पहुंचे हैं। केशव मौर्य नामांकन से पहले एक रोड शो भी करेंगे। इसके बाद वो नामांकन करेंगे। सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया है।
केशव मौर्य केपीएस स्कूल से निकल चके हैं। यहां से वो बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत अन्य लोगों के स्वागत के लिए निकले हैं। इसके बाद पुलिस लाइन पहुचेंगे जहाँ से एक रोड शो करेंगे इसके बाद वो एक जनसभा को संबोधित करेंगे। फिर यहां से नामांकन के लिए कलेक्टरेट जाएंगे।
कोई भी चुनाव लड़े कोई फर्क नहीं पड़ता: केशव
सिराथू से केशव प्रसाद मौर्य के चुनाव लड़ने की वजह से वह उत्तर प्रदेश की वीआईपी सीट हो गई है। सबकी नजरें वहां लगी हुई हैं। नामांकन दाखिल करने से पहले केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ''मैं सिराथू का बेटा हूं, सिराथू मेरा है, कोई भी चुनाव लडे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। अखिलेश और शिवपाल के सामने कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं उतारा है क्योंकि सपा बसपा और कांग्रेस ये सब एक हैं इसीलिए प्रत्याशी नहीं उतारा। इस बार के चुनाव में किसी के पास कोई मुद्दा नहीं है, सब बिना मुद्दों के बात कर रहे हैं, सिर्फ बीजेपी है जो विकास, बिजली, पानी और सड़क जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ रही है।''
सिराथू सीट से सपा ने सिर्फ केवल 2014 के उपचुनाव में जीत दर्ज कर पाई थी। केशव प्रसाद मौर्य ने फूलपुर से सांसद चुने जाने के बाद सिराथू के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। इस वजह से उपचुनाव कराया गया। साल 1993 से लेकर साल 2007 तक यह क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था। उस समय बीएसपी के उम्मीदवार ही जीते थे। साल 2012 में सामान्य होने के बाद केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी के टिकट पर जीते। यह उनकी पहली जीत थी। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और आगे बढ़ते चले गए।