छह दिवसीय सुभाष महोत्सव का हुआ आगाज, मुख्य अतिथि इन्द्रेश कुमार ने किया सांकेतिक सुभाष मार्च का नेतृत्व

सुभाष मार्च में शामिल लोगों के हाथ मे जय हिन्द, तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा जैसे नेताजी के नारे लिखे हुए थे। जय हिन्द और वन्दे मातरम् के नारे से काशी गूंज उठी। आजाद हिन्द फौज के बलिदान को सुभाष मार्च में जीवंत कर दिया गया।

वाराणसी: नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर को यादगार बनाने के लिए विशाल भारत संस्थान (vishal bharat sansthan) ने लमही स्थित सुभाष भवन (Subhash भवन) में छह दिवसीय सुभाष महोत्सव(Subhash Festival) का आयोजन शुक्रवार से आरंभ हुआ। सुभाष महोत्सव के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार (Indresh Kumar) ने सांकेतिक सुभाष मार्च का नेतृत्व किया। कोविड नियमों का पालन करते हुए सुभाष मार्च सुभाष भवन से कुछ ही कदम पर स्थित उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द के स्मारक स्थल तक गया, जहां इन्द्रेश कुमार ने प्रेमचन्द की प्रतिमा को माल्यार्पण कर वापस सुभाष मंदिर लौटे और नेताजी सुभाष को माल्यार्पण एवं दीपोज्वलन कर सुभाष महोत्सव को प्रारम्भ करने की घोषणा की।

नारों से गूंज उठी काशी
सुभाष मार्च में शामिल लोगों के हाथ मे जय हिन्द, तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा जैसे नेताजी के नारे लिखे हुए थे। जय हिन्द और वन्दे मातरम् के नारे से काशी गूंज उठी। आजाद हिन्द फौज के बलिदान को सुभाष मार्च में जीवंत कर दिया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि इन्द्रेश कुमार ने कहा कि आज़ादी का इतिहास कुर्बानियों से लिखा गया है। अखण्ड भारत की सीमाओं की पुनर्वापसी सभी भारतीयों के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। नेताजी के इस अधूरे काम को हम पूरा करेंगे। 

Latest Videos

जन्मभूमि की रक्षा और सेवा करना स्वर्ग प्राप्ति का मार्ग है। देश के लिए मरने वालों की अंतिम विदाई भी तिरंगे और तोपों की सलामी के साथ होती है। बापू ने सुभाष चन्द्र बोस की जीत को अपनी हार मानी और सुभाष चन्द्र बोस ने बापू का सम्मान करते हुए कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। जन्मभूमि की सेवा करने के लिये सुभाष चन्द्र बोस द्वारा आजाद हिन्द सरकार देश की पहली मान्यता प्राप्त सरकार 30 दिसम्बर 1943 को स्वतंत्रता का झण्डा फहराया गया इसलिए सुभाष चन्द्र बोस को देश और संसार के सभी लोग आज भी याद करते हैं और सम्मान करते हैं। विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. राजीव ने कहा कि दुनिया भर में आजादी की लड़ाई लड़ी गयी, सभी देशों के इतिहास पुरूष हैं, लेकिन जो सम्मान सुभाष चन्द्र बोस को मिला वो शायद ही किसी महापुरूष को नसीब हुआ हो। आजादी के महानायक सुभाष के इतिहास को खत्म करने की लम्बी साजिश के बाद भी आज सुभाष राष्ट्रदेवता के रूप में पूजे जा रहे हैं।

संस्थान की महासचिव अर्चना भारतवंशी ने बताया कि 6 दिवसीय सुभाष महोत्सव में कविता पाठ, चित्रकला प्रतियोगिता, देशभक्ति संगीत कार्यक्रम, विचार गोष्ठी आदि का आयोजन किया गया है। नेताजी के 125वें जन्म दिवस 23 जनवरी को विश्व के पहले सुभाष मंदिर में 125 दीप जलेंगे, 23 किलो माला चढ़ेगी और उस दिन 125 जातियों के लोगों को अपने पूर्वजों के काम को सम्मान पूर्वक करने हेतु सम्मानित किया जायेगा। मार्च का संयोजन नजमा परवीन ने किया। मार्च में नाजनीन अंसारी, डा. मृदुला जायसवाल, डा. निरंजन श्रीवास्तव, दिलीप सिंह, डा भोलाशंकर, मो. अजहरूद्दीन, फहीम अहमद, धनंजय यादव, खुशी रमन भारतवंशी, इली भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी, डीएन सिंह, सूरज चौधरी, ज्ञान प्रकाश आदि लोगों ने भाग लिया।

Share this article
click me!

Latest Videos

जौनपुर में कब्रिस्तान के बीचो-बीच शिवलिंग, 150 या 20 साल क्या है पूरी कहानी? । Jaunpur Shivling
मोहन भागवत के बयान पर क्यों बिफरे संत, क्या है नाराजगी की वजह । Mohan Bhagwat
'अब पानी की नो टेंशन' Delhi Election 2025 को लेकर Kejriwal ने किया तीसरा बड़ा ऐलान
LIVE🔴: अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में 'अटल युवा महाकुम्भ' का उद्घाटन
बांग्लादेश की अपील से कैसे बच सकती हैं शेख हसीना? ये है आसान रास्ता । Sheikh Hasina