
अलीगढ़: यूपी के अलीगढ़ जिले के अतरौली विधानसभा से समाजवादी पार्टी के विधायक रहे वीरेश यादव के खिलाफ 25 साल पुराने दो अलग-अलग मुकदमों में कोर्ट द्वारा 26 अप्रैल को कुर्की और गिरफ्तारी के आदेश जारी किए जाने के बाद बुधवार को वीरेश एमपी/एमएलए कोर्ट में खुद ही सरेंडर हो गए। कोर्ट ने उनको 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा है। वहीं, वीरेश के वकील की ओर से दाखिल बेल अर्जी पर 9 अप्रैल की अगली सुनवाई होगी।
वीरेश यादव पर दर्ज हुए दो अलग-अलग मुकदमें
वीरेश यादव पर साल 1997 और 19998 में दो अलग-अलग मुकदमें दर्ज हुए थे। जिसमें की जानलेवा हमले की धारा थी। बता दें कि कोर्ट से वारंट जारी होने के बाद भी वीरेश मुकदमों में पेश नही हो रहे थे। जिसके बाद कोर्ट ने साल 2019 में कुर्की की नोटिस जारी की थी। इसके बाद भी वीरेश हाजिर नही हुए। इसके बाद प्रमुख सचिव गृह व डीजीसी को अदालत स्तर से पत्र लिखकर गैर जमानती वारंट जारी किए गए। इन पत्रों में उल्लेख है कि वीरेश प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्ति हैं। पुलिस इन्हें अदालत तक नहीं ला पा रही है। इन्हें गिरफ्तार कराकर कोर्ट में पेश किया जाए। इसी बीच 9 सितंबर 2021 को वीरेश ने अग्रिम जमानत याचिका दायर कर दी। उक्त याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया।
क्या बोले एडीजीसी कुलदीप तोमर
एडीजीसी कुलदीप तोमर के मुताबिक 'कोर्ट ने दोनों मुकदमों में 26 अप्रैल को धारा 83 के तहत कुर्की आदेश जारी करते हुए कुर्की करने व सात मई को गिरफ्तार कर पेश करने के आदेश जारी कर दिया था। पुलिस को साफ निर्देश दिया कि इनको गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाए। इस पर पूर्व विधायक वीरेश यादव बुधवार सुबह 11 बजे खुद ही कोर्ट पहुंचकर सरेंडर हो गए। कोर्ट से उनको 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा गया है।
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