सिद्धार्थनगर में दिखा यूपी पुलिस का शर्मनाक चेहरा, Ex DGP ने बताई बदनाम खाकी के पीछे की असली वजह

सिद्धार्थनगर में पुलिस द्वारा युवक की पिटाई के मामले में पुलिस के व्यवहार पर  hindi.asianetnews.com ने पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह से बात किया।

Asianet News Hindi | Published : Sep 13, 2019 12:30 PM IST / Updated: Sep 13 2019, 06:29 PM IST

लखनऊ( उत्तर प्रदेश ). सिद्धार्थनगर में शुक्रवार को छोटे बच्चे के साथ जा रहे बाइक सवार युवक से चेकिंग के दौरान पुलिस की कहासुनी हो गयी थी। जिसके बाद वहां चेकिंग कर रहे दारोगा वीरेंद्र मिश्र व सिपाही महेंद्र कुमार ने उसे सरेराह सड़क पर घसीट के पीटा । इस दौरान युवक के साथ रहा छोटा बच्चा इधर उधर भाग रहा था। पुलिस का यह अमानवीय चेहरा किसी ने कैमरे में कैद कर लिया और देखते ही देखते ये वीडियो वायरल हो गया। पुलिस और जनता के बीच में आए दिन हो रही टकराहटों के कारण कहीं न कही खाकी का इकबाल गिरता जा रहा है। सरकार द्वारा पिछले दिनों लागू किए गए नए ट्रैफिक नियमो के बाद पुलिस और जनता के बीच विवाद बढ़ते जा रहे हैं। पुलिस का जनता के प्रति जो व्यवहार देखने को मिल रहा है वह मित्र पुलिस कही जाने वाली यूपी पुलिस का स्तर दिन प्रतिदिन गिराता जा रहा है। इसी मुद्दे पर hindi.asianetnews.com ने यूपी के एक्स डीजीपी विक्रम सिंह से बात की। उन्होंने जनता और पुलिस के बीच बढ़ रहे टकराहट पर अपनी राय हमसे शेयर किया।

बोले EX DGP, संतान बुरी नहीं होती माता-पिता बुरे होते हैं
पुलिस के क्रूरतम कृत्य पर सूबे के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि अगर संतान कोई गलती कर रहा हो तो उसकी पहली जिम्मेदारी माता-पिता की होती है। इससे एक बात साबित होती है की माता-पिता ने अपनी संतान को अच्छी शिक्षा नहीं दी। इसी तरह पुलिस डिपार्टमेंट में भी है अगर हमारा कोई सिपाही या दारोगा गलती कर रहा है तो इसका मतलब साफ़ है कि अफसरों द्वारा उसे अनुशासन नहीं सिखाया जा रहा है।

कहीं नहीं होती परेड,न ही होता सैनिक सम्मेलन
EX DGP विक्रम सिंह का कहना है कि पुलिस के जो नीति-नियम बनाए गए हैं उसका अनुपालन बिलकुल बंद सा हो गया है। न तो कहीं परेड होती है और न पहले की तरह होने वाले सैनिक सम्मेलन अब होते हैं। शुक्रवार परेड बंद हो गयी है ,भ्र्ष्टाचार को रोकने के लिए उचित उपक्रम नहीं किए गए हैं, त्वरित दंडात्मक कार्रवाई नहीं हो रही है। इन सब से ये होता था कि थानों में नौकरी करने वाले पुलिसकर्मी जब अफसरों के सम्पर्क में आते थे तो उन्हें सरकार के शासनादेश,अनुशासन व उनके मौलिक कर्तव्य व अधिकार बताए जाते थे । इन सब चीजों पर अब कोई ध्यान नहीं दे रहा है, ऐसे में पुलिस से शिष्ट व्यवहार की अपेक्षा कैसे की जा सकती है।

पुलिसकर्मी फील्ड का होता है घर में बैठ कर नौकरी करने का नहीं
 विक्रम सिंह कहते हैं कि पुलिस कर्मी फील्ड का होता है। थानों का होता है पुलिसलाइन का होता है। जब आप घर में बैठ कर दफ्तर चलाएंगे तो अच्छी पुलिसिंग कैसे देखने को मिलेगी। पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण में हर स्तर के पुलिसकर्मी को साल में एक बार प्रशिक्षण लेना अनिवार्य होता है लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं हो रहा है।

जब पुलिसलाइन अनाथालय हो जाएगी तो ऐसे घटनाएं होनी ही है
EX DGP का मानना है कि थानों और पुलिसलाइन के अंतर्गत जो नीति नियम बनाए गए हैं उसका अनुपालन जरूरी होता है। लेकिन जब ऐसा नहीं होता है तो आपकी पुलिसलाइन एक अनाथालय बन जाती है। जिसके बाद सिद्धार्थनगर जैसी घटनाएं आम हो जाती हैं। 

पुलिस मैनुअल के पालन पर सख्ती करे सरकार,सुधर जाएगी पुलिसिंग 

पुलिस विभाग में अधिकारियों कर्मचारियों के लिए जो कानून कायदे बनाए गए हैं यदि उनका सख्ती से अनुपालन कराया जाए तो ऐसी घटनाओं  पर लगाम लग सकती है। ऐसा यूपी के पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह का मानना है। उनका कहना है इसके लिए सरकार के साथ ही विभागीय जिम्मेदारों को भी सजग होना पडेगा। सबसे अहम बात ये है कि विभागीय दंडात्मक प्रक्रियाओं में किसी प्रकार की कोताही भी नहीं बरतनी होगी। 

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