
एके सिंह
गाजीपुर: चुनाव आने ही वाले हैं हर कोई नामांकन का सपना देख रहा है। बड़े-बड़े नेता अपने फायदे के लिए दलबदल कर रहे हैं। लगातार उत्तर प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है। लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि राजनीति में धनबल और बाहुबल से ज्यादा जनसरोकार से वास्ता मायने रखता है। गाजीपुर के रहने वाले रिक्शाचालक कुबेर राम (Riksha driver Kuber ram) को गरीब ,शोषित समाज के प्रति सियासतदानों की बेरुखी ने इस कदर परेशान किया कि वह खुद सियासी समर में उतर पड़े। कुबेर राम ने 2012 और 2017 का विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Chunav) लड़ सबको हैरानी में डाल दिया। वह 2014 का लोकसभा चुनाव भी लड़ चुकें हैं।
2012 के विधानसभा चुनावों में जंगीपुर विधानसभा से लड़ने का था मन
2012 के विधानसभा चुनाव में कुबेर राम ने निर्दल प्रत्याशी के रूप में जंगीपुर सीट से नमांकन किया। इस चुनाव में कुबेर को 1700 वोटों से ही संतोष करना पड़ा।कुबेर राम के हौसले इस हार से पस्त नहीं हुए। कुबेर ने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ते हुए करीब चार हजार वोट हासिल किया। कुबेर राम की सात बेटिया और दो बेटे है।रिक्शा चालक के तौर पर जो भी पैसा उन्हें मिलता है,उससे वह अपनी सभी बेटियों की शादी कर चुकें हैं।साथ ही दो बेटों को पढ़ा कर भी उन्हें आत्मनिर्भर कर चुकें है।कुंबेर 2022 के सियासी समर में जंग लड़ने के लिए फिर अपने को तैयार कर रहें हैं।
कुबेर राम 2022 के चुनावों में जखनियां आरक्षित सीट से अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं।2017 के विधानसभा चुनाव से पहले वह सभी चुनाव निर्दल के तौर पर लड़े।2017 में उन्हें समाजवादी जनता पाटी (चंद्रशेखर) के सिंबल पर चुनाव लड़ने का मौका मिला था।कुबेर ने मीडिया को बताया कि एक बार फिर वह इसी दल से चुनाव लड़ना चाहते ही।अगर इस दल से उन्हें टिकट नहीं मिलता है तो वह निर्दल के तौर पर चुनाव लड़ेंगे।
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