संगम नगरी में 7 बच्चों के साथ दफन है एक रानी, इस वजह से एक साथ कर लिया था सुसाइड

Published : Jan 23, 2020, 06:57 PM ISTUpdated : Jan 23, 2020, 07:02 PM IST
संगम नगरी में 7 बच्चों के साथ दफन है एक रानी, इस वजह से एक साथ कर लिया था सुसाइड

सार

संगम नगरी में चल रहे माघ मेले में रोजाना हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ आ रही है। ऐसे में आज हम आपको प्रयागराज में स्थित खुसरोबाग के बारे में बताने जा रहे हैं। यह ऐतिहासिक के साथ धर्मिक मान्यता भी है। यहां मुगल शासक जहांगीर की पत्नी मानबाई उर्फ शाह बेगम, बेटे शहजादा खुसरो और बहन सुल्तान निसार बेगम का मकबरा भी है।

प्रयागराज (Uttar Pradesh). संगम नगरी में चल रहे माघ मेले में रोजाना हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ आ रही है। ऐसे में आज हम आपको प्रयागराज में स्थित खुसरोबाग के बारे में बताने जा रहे हैं। यह ऐतिहासिक के साथ धर्मिक मान्यता भी है। यहां मुगल शासक जहांगीर की पत्नी मानबाई उर्फ शाह बेगम, बेटे शहजादा खुसरो और बहन सुल्तान निसार बेगम का मकबरा भी है।

मान बाई पंजाब के गर्वनर और आमेर के राजा भगवंत दास की बेटी और राजपूत मुखिया मान सिंह की बहन थीं। उनकी शादी सन 1584 में मुगल शासक सलीम उर्फ जहांगीर से हुआ। 1587 में उन्होंने शहजादे खुसरो को जन्म दिया। 1622 में बुरहान में खुसरो की मौत हो गई। उन्हें भी यहीं लाकर दफना दिया गया था, मां के दाहिने तरफ खुसरो का मकबरा है। कहा जाता है कि पति जहांगीर और बेटे खुसरो के बीच के झगड़े से तंग आकर मान बाई ने सन 1603 में 7 बच्चों के साथ अफीम का ओवरडोज खाकर खुदकुशी कर ली।

प्रयागराज रेलवे स्टेशन के पास स्थित खुसरोबाग करीब 64 एकड़ में फैला है, जिसकी दीवार 20 फिट ऊंची है। बगीचों के शौकीन मुगल शासक जहांगीर ने इसका निर्माण कार्य 1605 में शुरू कराया, जोकि 1627 में पूरा हुआ। मकबरों का निर्माण 1606-1607 ईसवी में किया गया था। जहांगीर के भरोसेमंद कारीगर अकारेजा ने तीन मंजिले मकबरों की नक्काशी की थी। इसमें अरीब में आयतें भी लिखी हैं। इसके निर्माण में 22 साल लग गए।


 
जानकारों की मानें तो बाग में आने वाले लोग जो भी मन्नत मांगते थे, वो जरूर पूरी होती थी। मन्नत पूरी होने पर इसके मुख्य द्वार के गेट पर घोड़े की नाल ठोकने की परंपरा थी। यहां लगी घोड़े की नाल इसका सबूत देती है। 


 
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षण सहायक अविनाश चंद्र त्रिपाठी यहां की सुरक्षा संरक्षा से लेकर साफ-सफाई की जिम्मेदारी संभालते हैं। बाग करीब 400 साल पुराना है, जो मुगलों का आरामगाह होता था।  

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