यूपी विधानसभा के चुनावी माहौल में सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता अपने शब्दों से विपक्षी पार्टियों पर तीखा प्रहार कर रहे हैं। इन सबके बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव एवं राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) अध्यक्ष के बीच हुई राम-राम।
दिव्या गौरव
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा (Uttar Pradesh Vidhansabha) की चुनावी महाभारत में विभिन्न दलों के नेताओं के बीच शब्द बाणों के प्रहार चरम पर हैं मगर इन सबके बीच बुलंदशहर में गुरूवार को ऐसा मौका भी आया जब अपने अपने रथों पर सवार कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Congress General Secretary Priyanka Gandhi Vadra) और समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव (President Akhilesh Yadav) एवं राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) अध्यक्ष (Rashtriya Lok Dal (RLD) President) का आमना सामना हुआ। इस दौरान दोनों नेताओं ने विनम्रता के साथ एक दूसरे का अभिवादन कर राजनीतिक परिपक्वता की मिसाल पेश की।
दरअसल, बुलंदशहर के शिकारपुर कस्बे के निकट शाम करीब सात बजे अखिलेश-जयंत चौधरी का विजय रथ तथा प्रियंका गांधी का काफिला आमने-सामने टकरा गया। इस दौरान प्रियंका गांधी ने अखिलेश के विजय रथ की ओर हाथ बढ़ा कर उनका अभिनंदन किया, जिस पर अखिलेश व जयंत चौधरी ने भी विजय रथ वाहन की छत से हाथ जोड़कर गर्मजोशी से प्रियंका गांधी वाड्रा का अभिनंदन किया। इस दौरान गठबंधन और कांग्रेस के कार्यकर्ता भी एक दूसरे का अभिनंदन कर रहे थे।
प्रियंका का 'राम-राम' नया चुनावी कार्ड?
अचानक हुई इस मुलाकात के बाद जहां सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने तस्वीर ट्वीट कर लिखा, 'एक दुआ सलाम, तहजीब के नाम', वहीं प्रियंका ने ट्वीट किया, 'हमारी भी आपको राम-राम'। राजनीतिक विश्लेषक प्रियंका के ट्वीट को जाटलैंड के अभिवादन से जोड़ने के साथ-साथ सॉफ्ट हिंदुत्व के चुनावी कार्ड के तौर पर भी देख रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक अजय त्रिपाठी कहते हैं, 'पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राम-राम एक सामान्य अभिवादन है। प्रियंका ने एक ओर जहां यह ट्वीट कर वहां के स्थानीय लोगों से वहां की संस्कृति और जीवन शैली के आधार पर जुड़ने की कोशिश की, वहीं दूसरी ओर सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड भी खेल दिया।'
लगातार मंदिर जा रही हैं प्रियंका
त्रिपाठी के मुताबिक, 'कांग्रेस को लंबे समय से ऐंटी हिंदू या प्रो मुस्लिम होने का तमगा मिलता रहा है। ऐसे में राम मंदिर बनने के बाद सोशल मीडिया पर कांग्रेस विरोधी पोस्ट्स की बाढ़ आ गई। प्रियंका ने यूपी में चुनाव प्रचार की शुरुआत भी मंदिर में दर्शन-पूजन के साथ की थी। इसके बाद भी वह लगातार मंदिरों में जाकर कांग्रेस की छवि बदलने की कोशिश करती रहीं। अब इस ट्वीट से एकबार फिर उन्होंने कांग्रेस की सॉफ्ट हिंदुत्व वाली छवि को पुख्ता करने का प्रयास किया है।'
2017 में एक साथ मिलकर सपा-कांग्रेस ने लड़ा था चुनाव
आपको बता दें कि साल 2017 का विधानसभा चुनाव सपा और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था जिसमें उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। उस समय राहुल गांधी और अखिलेश यादव साथ मिल कर रैलियां और जनसभाएं कर रहे थे। इस बार यूपी में विधानसभा चुनाव कांग्रेस अकेले दम पर लड़ रही है और पाटी की कमान राहुल की बहन प्रियंका ने संभाल रखी है। कांग्रेस और सपा ने इस चुनाव में भी एक दूसरे के प्रति नरम रुख अपनाया हुआ है हालांकि दोनों दल भाजपा के खिलाफ आक्रामक है।