
लखनऊ (Uttar Pradesh). गांधी के 150वीं जयंती पर योगी सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था। जिसका कांग्रेस सहित सभी विपक्षी पार्टियों ने बहिष्कार किया था। इसके बावजूद रायबरेली से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह सदन में पहुंची और अपनी बात रखी। इस दौरान उन्होंने कहा, मुझे जो सही लगता है वही करती हूं। hindi.asianetnews.com आपको योगी सरकार के लिए कांग्रेस से अलग राह चुनने वालीं इस विधायक के बारे में कुछ इंटरेस्टिंग बातें बताने जा रहे हैं।
कुछ ऐसे बीता अदिति का बचपन
31 साल की अदिति सिंह रायबरेली की राजनीति में सक्रिय रहे पूर्व विधायक और बाहुबली नेता अखिलेश सिंह की बेटी हैं। इनकी प्रारंभिक शिक्षा मसूरी इंटरनेशनल बोर्डिंग स्कूल से हुई। यूएस की ड्यूक यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट में मास्टर्स डिग्री ली है। डिग्री के दौरान ही वहां एक फैशन हाउस में 4 महीने की अनपेड इंटर्नशिप भी की।
इन्होंने बताया था, 6 साल की उम्र में मुझे बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया गया। जिसकी वजह से बचपन से ही सेल्फ डिपेंडेंट होना सीख लिया। छुट्टी में घर आने पर मम्मी को खूब इमोशनल ब्लैकमेल करती थीं। लेकिन कोई असर नहीं होता था, वापस स्कूल भेज दी जाती थी। मुझे एश्वर्या राय बहुत पसंद हैं। एक बार पापा मुझे उनसे मिलवाने लेकर गए थे। उस समय ताल फिल्म की शूटिंग चल रही थी। मैंने जब उनकी तारीफ की तो एश्वर्या ने कहा था- तुम भी मेरी छोटी बहन हो, यू आर सो ब्यूटिफुल।
ऐसे हुई थी पॉलिटिक्स में इंट्री
उन्होंने बताया था, यूएस से एक बार मैं रायबरेली घर आई थी। घर के बाहर एक बच्चा मिला। उसके कपड़े फटे थे। उसने मुझसे कहा- दीदी मेरे साथ खेलोगी? मैंने भी हां कर दी, उसकी हालत देख अजीब महसूस हो रहा था। बच्चे ने कहा- दीदी आप विदेश न जाओ, यहीं रहो, मेरे साथ रोज खेला करो। मासूम की बात सुनकर मैंने सोचा कि मैं अपनी जिंदगी में क्या कर रही हूं? क्या आगे की लाइफ फैशन मॉडल्स के इर्द-गिर्द बिताऊंगी या अपनी सोसाइटी के लिए कुछ करूंगी। उसी के बाद मैंने पॉलिटिक्स में आने का हार्ड डिसीजन लिया। मैं अपने पिता की तरह लोगों की सेवा करना चाहती हूं। साल 2017 के चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने मुझसे पूछा था कि इलेक्शन की तैयारियां के अलावा और क्या करना चाहती हो? मैंने उनके सामने गांवों में साइलेंट चौपाल करवाने का आइडिया शेयर किया, जो उन्हें काफी पसंद आया।
ऐसा हसबैंड चाहती है ये विधायक
अदिति ने अपनी शादी के प्लान्स पर कहा था, जो पैरेंट्स कहेंगे, वही होगा। मुझ पर कभी किसी बात को लेकर रोक-टोक नहीं रही, फिर भी उनकी मर्जी से ही शादी करूंगी। मेरा हसबैंड संस्कारी होगा और अपने फ्यूचर को लेकर उसका माइंड क्लीयर होगा। उसकी खुद की पहचान होना भी इम्पॉर्टेंट है।
कांग्रेस से निकाले गए थे इस विधायक के पिता
तीन दशक तक रायबरेली की राजनीति में सक्रिय रहे अखिलेश सिंह का इसी साल अगस्त महीने में 60 साल की उम्र में निधन हो गया था। वो कैंसर से पीड़ित थे। साल 1993 में ये पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा पहुंचे थे। उसके बाद तीन बार विधानसभा चुनाव जीता। 2003 में एक हत्याकांड में आरोप लगने पर कांग्रेस ने इन्हें पार्टी से निकाल दिया। जिसके बाद ये निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते। 2012 में पीस पार्टी ज्वॉइन कर ली। इनपर करीब 45 आपराधिक मुकदमे दर्ज थे। साल 2007 और 2012 के दो चुनावों में अखिलेश सिंह को हराने के लिए खूब जोर लगाया गया। सोनिया गांधी और प्रियंका ने घर-घर घूम घूमकर वोट मांगे, लेकिन अखिलेश सिंह जीत गए। 2016 में इन्हें कांग्रेस में वापस बुलाया गया और बेटी अदिति सिंह को टिकट दिया गया।
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