Inside Story : काशी के इन दो संस्थानों के छात्रों ने बनारस को बनाया चित्रों का शहर, विश्व पटल पर मिल रही पहचान

बनारस के चौराहों गलियों की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए दीवारों पर बोलती तस्वीरें बनवाई जा रही है। यही नहीं गंगा घाटों पर बनारस की संस्कृति को यहां के चित्रकार कला के माध्यम से दर्शन कराते हैं। काशी की पहचान धार्मिक नगरी के तौर पर है। लेकिन मंदिरों और गंगा घाटों की सुंदरता के अलावा यहां के कलाकारों ने भी शहर की ख्याति को बढ़ाया है। इसलिए यहां के कलाकारों को फ्रख है कि उनकी कला को दुनिया जानती है। 

अनुज तिवारी
वाराणसी:
उत्तर प्रदेश का जिला बनारस जब से स्मार्ट सिटी बना है तब से बनारस के चौराहों गलियों की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए दीवारों पर बोलती तस्वीरें बनवाई जा रही है। यही नहीं गंगा घाटों पर बनारस की संस्कृति को यहां के चित्रकार कला के माध्यम से दर्शन कराते हैं और आप जब बनारस की गलियों में घूमेंगे तो बनारस है तस्वीरों को गलियों के ही माध्यम से बनारस के खूबसूरती का दर्शन कर लेंगे। बनारस की गलियों में इस चित्र को बनाने का श्रेय काशी हिंदू विश्वविद्यालय व काशी विद्यापीठ से डिग्री लेकर निकलने वाले स्टूडेंट्स को जाता हैं। लेकिन इनके मेहनत का सही ईनाम इन तक नहीं मिल पाता है। कभी प्रदर्शनी तो कभी सरकारी काम में छोटे-मोटे काम मिल जाते हैं तो गुजारा हो जाता है।   

वाराणसी की पहचान धार्मिक नगरी के तौर पर है, लेकिन मंदिरों और गंगा घाटों की सुंदरता के अलावा यहां के कलाकारों ने भी शहर की ख्याति को बढ़ाया है। इसलिए यहां के कलाकारों को फ्रख है कि उनकी कला को दुनिया जानती है। बनारस के गंगा घाटों पर जब आप मिले तो आपके चेहरे की चित्र और बनारस के सुंदर चित्रों को बनारस की सीढ़ियों पर सजाएं इन विश्वविद्यालय के छात्र मिल जाएंगे। छात्रों का कहना है कि इस छोटे से रोजगार से उनका खर्चा निकल जाता है और देश दुनिया से आए पर्यटक उनके इस चित्रकारी से प्रभावित होकर उनसे या चित्र खरीदें हैं। 

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दीवारों पर बना रहे पेंटिंग
वाराणसी नगर निगम के सामने की दीवारों पर इन दिनों काशी विद्यापीठ के छात्र अपनी कला के जरिए लोगों को अपना हुनर दिखा रहे हैं। इन्हें भले ही इसका मेहनताना सही न मिले, लेकिन इनके जज्बे में कोई कमी नहीं दिखाई देती है। काशी विद्यापीठ के लगभग 8 छात्र दीवारों पर चित्रकारी कर शहर को स्मार्ट सिटी बनाने में अपना अहम योगदान दे रहे हैं। 

क्या कहा काशी के कलाकारों ने 
हर्षिता पाठक ने कहा कि प्रदर्शनी से शहर में हमारी पहचान बनती है और यहां हमे कई सीनियर कलाकारों से मिलने का मौका मिलता है। वही रोशनी सिंह ने बताया कि हमारी चित्रकारी को देखकर सभी ने सराहा है। हमे आगे बढने का मार्गदर्शन भी मिला। बस अब सही मौके का इंतजार है। वही एक कलाकार ने कहा कि चित्रकारी का हुनर हर किसी के पास नहीं होता है। हम सरकार से अपील करना चाहते हैं कि हमें भी सही दिशा मिले।

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