यूपी के फतेहपुर जिले के सुजानपुर गांव में जन्मे महेंद्र बहादुर सिंह 2010 बैच के IAS अफसर हैं। इसके पूर्व वह बांदा, व रामपुर में डीएम का पद संभाल चुके हैं
लखनऊ(Uttar Pradesh ). यूपी के मैनपुरी में भोगांव थाना क्षेत्र स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय की 11वीं की छात्रा की 16 सितंबर 2019 को हॉस्टल परिसर में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। छात्रा की मौत के बाद से उसके परिवारीजन मौत की सीबीआई से जांच कराने की मांग कर रहे थे। इस मांग को लेकर वे अनशन पर भी बैठे थे। जिसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने मैनपुरी के खराब हालात को देखते हुए डीएम व एसपी दोनों को हटा दिया। वहां 2010 बैच के IAS महेंद्र बहादुर सिंह को जिलाधिकारी बनाया गया है। महेंद्र बहादुर सिंह यूपी के फतेहपुर के रहने वाले हैं। उनकी शुरुआती लाइफ बेहद संघर्षों से भरी रही है। hindi.asianetnews.com ने IAS महेंद्र बहादुर सिंह से बात की।
यूपी के फतेहपुर जिले के सुजानपुर गांव में जन्मे महेंद्र बहादुर सिंह 2010 बैच के IAS अफसर हैं। इसके पूर्व वह बांदा, व रामपुर में डीएम का पद संभाल चुके हैं। डीएम रहने के दौरान जनसुनवाई और उसके निस्तारण में उनका काम इतना बेहतरीन रहा कि उन्हें यूपी सरकार ने सम्मानित किया था । हांलाकि मैनपुरी डीएम बनाए जाने के पूर्व वह गन्ना विकास विभाग में अपर आयुक्त के पद पर तैनात थे।
स्कूल ने पढ़ाने से कर दिया था इंकार
IAS महेंद्र बहादुर सिंह की प्रारम्भिक शिक्षा गांव के पास ही एक स्कूल में हुई। महेंद्र बताते हैं कि एक दिन उनके पिता को स्कूल के टीचर ने बुलाया। पिता जी ने सोचा कि मैंने कोई शरारत की होगी। जब वह स्कूल में पहुंचे तो प्रिंसिपल ने उनसे कहा कि आपका बेटा पढ़ने में काफी होशियार है। गांव के स्कूल में उसकी बेहतर शिक्षा सम्भव नहीं है। इसलिए इसे आप शहर के किसी अच्छे स्कूल में ले जाइए।
जिंदगी के इस मोड़ ने बदल दी लाइफ
महेंद्र बताते हैं कि मेरे पिता चकबंदी विभाग में क्लर्क थे। सही मायने में मेरी सफलता के पीछे उन्ही का हांथ है। स्कूल टीचर के कहने के बाद वह मुझे लेकर घर छोड़कर फतेहपुर शहर में किराए का मकान लेकर रहने लगे। वहां शहर के एक अच्छे स्कूल में मेरा दाखिला करवा दिया गया। उन्होंने मिड टर्म में ही एडमिशन फतेहपुर के एक प्राइवेट स्कूल में करवाया।
एक साथ 5 सब्जेक्ट में हो गए फेल
महेंद्र सिंह बताते हैं, मेरा एडमिशन तो हो गया, लेकिन दो महीने बाद हुए हाफ ईयरली एग्जाम में मेरा रिजल्ट बेहद खराब रहा। मैं 6 में से 5 सब्जेक्ट्स में फेल हो गया। मैं घर आकर बहुत रोया तब पापा ने मुझे समझाया कि तुम मेहनत करो, सब अच्छा होगा। उसी साल फाइनल एग्जाम में क्लास में सेकंड पोजिशन हासिल की। उसके बाद हर एग्जाम में टॉपर बनने लगे।
पिता बनाते थे खाना,तैयार करते थे नोट्स
महेंद्र बताते हैं, पिताजी सुबह ड्यूटी पर जाने से पहले मेरा खाना बना लेते थे। वो ही मुझे तैयार करके स्कूल भेजते थे। मां तीन भाइयों के साथ गांव में थीं। यही नहीं, जूनियर क्लासेस तक तो वो मेरे नोट्स भी तैयार करवाते थे। पिताजी लगातार मेरे लिए मेहनत करते रहे। वो खाना बनाने से लेकर कपड़े धोने और साफ-सफाई का काम तक खुद ही करते थे। मुझे पढ़ाई में डिस्टर्ब न हो, इसके लिए उन्होंने कभी मुझसे कभी काम में हाथ बंटाने के लिए नहीं कहा।
IIT में हो गए थे फेल
महेंद्र ने बताया कि, 12वीं के बाद मैंने आईआईटी एंट्रेंस एग्जाम दिया था, लेकिन उसमें पास नहीं हुआ । मेरा सिलेक्शन यूपीटीयू में हुआ था, जहां से मैंने बीटेक की डिग्री हासिल की। मैं इंजीनियरिंग खत्म होते ही सिविल सर्विसेज की तैयारी में लग गया था। इस दौरान मेरी कई कंपनियों में जॉब भी लगी, लेकिन मेरा फोकस IAS ही था। मैंने 2010 में यूपीएससी एग्जाम दिया और तीसरे अटैम्प्ट में क्लीयर हो गया। पिता जी का सपना भी था, जो कि पूरा हुआ।