Inside Story: ऐसा व्यक्ति पिशाच के समान... जानिए हत्यारे पति को फांसी की सजा देकर अदालत ने ऐसा क्यों कहा

Published : May 28, 2022, 12:26 PM IST
Inside Story: ऐसा व्यक्ति पिशाच के समान... जानिए हत्यारे पति को फांसी की सजा देकर अदालत ने ऐसा क्यों कहा

सार

बरेली में एक महिला की हत्या में अदालत ने पति को फांसी की सजा देकर इस घटना को विरल से विरलतम श्रेणी में माना और सजा के आदेश में कहा कि दोष सिद्ध को तब तक फांसी पर लटकाया जाए, जब तक उसकी मृत्यु नहीं हो जाती।

राजीव शर्मा
बरेली:
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में पांच साल पहले की गई एक महिला की हत्या के मामले में दोषी पाए गए मृतका के पति को फांसी और एक लाख रुपये के जुर्माना की सजा सुनाते हुए बरेली की फास्ट ट्रैक अदालत ने अपनी टिप्पणी में दोष सिद्ध को पिशाच के समान माना।

सजा के आदेश में अदालत ने लिखा है- ऐसा व्यक्ति जो अपनी पत्नी, जिसके साथ वह वैवाहिक बंधन में लंबी अवधि व्यतीत कर चुका हो और उसके इस वैवाहिक बंधन से छह बच्चे हों और सबसे बड़े बच्चे की आयु घटना के समय 20 वर्ष हो गई हो। इसके बावजूद मात्र अपनी पत्नी के इस कृत्य के कारण कि वह उसकी मारपीट से परेशान होकर अपने मायके में रह रही थी और अपने साथ अपने बेटे को रखे हुए थी, जिसे दोष सिद्ध अपने साथ ले जाना चाहता था, मृतका की हत्या कारित किया जाना किसी भी प्रकार से एक सामान्य घटना नहीं कही जा सकती है। ऐसा व्यक्ति एक पिशाच के समान है, जिसका किसी भी रिश्ते नाते पर कोई भरोसा नहीं हो सकता है और वह किसी भी छोटी सी बात को लेकर अपने परिवार के किसी अन्य सदस्य, यहां तक कि बच्चों की हत्या करने में संकोच नहीं कर करेगा। ऐसे व्यक्ति को दंड देते हुए न्यायालय से किसी भी उदारता की अपेक्षा किया जाना उस व्यक्ति को अनुचित लाभ पहुंचाने जैसा है।

अदालत ने दोष सिद्ध को पूरे समाज का अपराधी माना
फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायधीश ने आदेश में यह भी लिखा है कि कोई भी दोष सिद्ध समाज के पीड़ित व्यक्ति का ही अपराधी नहीं होता बल्कि पूरे समाज का अपराधी होता है। इस मामले में यह भी तथ्य सामने आया है कि अभियुक्त द्वारा कारित दुर्दान्त घटना के कारण घटना के समय मौके पर उपस्थित और पहुंचा कोई भी अन्य व्यक्ति भय के कारण गवाही देने उसके विरुद्ध न्यायालय में नहीं आया। ऐसे व्यक्ति समाज में कानून के प्रति विश्वास को ठेस पहुंचाते हैं और ऐसे व्यक्तियों को यदि कठोर दंड न दिया जाए तो समाज के अन्य आपराधिक मानसिकता रखने वाले व्यक्तियों का हौसला बुलंद होता है और इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृति समाज में होने की आवृत्ति बढ़ सकती है। ऐसे मामले में समाज में एक कठोर संदेश दिया जाना आवश्यक होता है ताकि इस प्रकार की घटना कारित करने से पहले कोई भी व्यक्ति सौ बार सोचे।

अदालत ने यह दी कड़ी सजा
फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायधीश अपर सत्र न्यायाधीश निर्दोष कुमार ने अपने आदेश में सिद्ध दोष रफीक अहमद पप्पू को पत्नी की हत्या करने पर मृत्युदंड और एक लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनाते हुए आदेश में कहा है कि सिद्ध दोष रफीक अहमद पप्पू को गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए, जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए। अदालत ने रफीक अहमद पप्पू को आयुष अधिनियम की धारा 4/25 में भी दो वर्ष के कठोर कारावास और दो हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।

शरीर पर छुरी से किए थे 16 वार, अदालत ने विरल से विरलतम घटना माना
बरेली जिले के नवाबगंज के मुहल्ला कुम्हरा निवासी दोष सिद्ध रफीक अहमद पप्पू ने पत्नी के शरीर पर छुरी से 16 वार किए थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई, इसलिए अदालत ने अपने आदेश में लिखा है- दोषसिद्ध के द्वारा कारित अपराध हत्या के सामान्य मामलों में नहीं आता बल्कि विरल से विरलतम मामलों की श्रेणी में आता है। इस प्रकार से हत्या किए जाने के लिए अत्यंत कठोर ह्रदय एवं भरपूर आपराधिक मानसिकता एंव निर्दयता की आवश्यकता होती है। ऐसे व्यक्ति के आपराधिक चरित्र में भी किसी सुधार की गुंजाइश होना प्रतीत नहीं होता है। दोष सिद्ध का आचरण दौरान विचारण भी किसी प्रकार के पछतावे का नहीं रहा है। दोष सिद्धि के बावजूद भी दंड के प्रश्न पर सुनवाई के समय उसने मात्र अपने आप को निर्दोष होने का कथन किया है और न्यायालय के समक्ष कोई पछतावा होने जैसी बात नहीं कही है। दोष सिद्ध ने एक ऐसी असहाय स्त्री, जो उसकी संतानों की माता भी थी और उसकी पत्नी भी थी, की हत्या इतने क्रूरतम तरीके से पूर्वनियोजित रूप से उसके मायके जाकर की है, जो मानवीय संवदेनाओं को झकझोरने वाला कृत्य है। ऐसी परिस्थिति में दोष सिद्ध को हत्या के लिए प्रावधानित अधिकतम दंड से दंडित किया जाना न्यायोचित है।

मायके में की थी पत्नी की हत्या
हत्या की यह घटना पांच साल पहले 5 जून 2017 को बरेली जिले के बिथरीचैनपुर थाने के गांव सिमरा अजूबा बेगम में अंजाम दी गई। यहां मृतका सितारा बेगम अपने मायके में रह रही थी। मृतका के पिता जमील अहमद ने बिथरीचैनपुर थाने में दर्ज कराई एफआईआर में कहा था कि उनका दामाद रफीक अहमद उर्फ पप्पू उनकी बेटी मृतका सितारा बेगम को बेहद परेशान करता था। इसकी वजह से सितारा बेगम चार-पांच महीने पहले ससुराल से मायके आकर रहने लगी थी। घटना वाले दिन सुबह करीब 11 बजे रफीक अहमद पप्पू उनके घर आया और छुरी से सितारा बेगम पर कई प्रहार किए, जिससे उसका पेट फट गया वह गंभीर रूप से घायल हो गई। अस्पताल में चिकित्सकों ने सितारा बेगम को मृत घोषित कर दिया। आरोप था कि अपनी पत्नी सितारा बेगम की हत्या से पहले रफीक अहमद पप्पू अपने लड़के शोएब को अपने साथ ले जाने लगा, जिसका सितारा बेगम ने विरोध किया था। इस पर रफीक ने अपनी पत्नी को छुरी से हमला करके मार डाला और फरार हो गया। बाद में पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था।

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