सुलतानपुर में 8 महीने के बच्चे की जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने दी ऐसी सलाह, सोशल मीडिया पर चली मदद की मुहिम

यूपी के जिले सुलतानपुर में आठ महीने को बच्‍चे को दुर्लभ बीमारी हो गई है। स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी टाइप वन के इलाज के ल‍िए महंगे इलाज की जरूरत है। मासूम की जान बचाने के ल‍िए सोशल मीड‍िया के जर‍िए मदद की अपील की जा रही है। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 25, 2022 9:04 AM IST

सुलतानपुर: उत्तर प्रदेश के जिले सुलतानपुर में आठ महीने के बच्चे की जान को बचाने के लिए डॉक्टरों ने ऐसी सलाह दी है कि लोग सोशल मीडिया पर मुहिम चला रहे है। शहर के बिजेथुआ में आठ महीने के बच्चे को दुर्लभ बिमारी हो गई है, जिसे स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी टाइप वन नाम है। इस बीमारी के लिए महंगे इलाज की जरूरत है। बच्चे की जान को बचाने के लिए सोशल मीडिया के जरिए लोग मदद की अपील कर रहे है। इतना ही नहीं बच्चे की जान बचाने के लिए काफी लोग आर्थिक मदद भी मुहैया करा रहे है।

शारीरिक ग्रोथ में कुछ कमी के चलते परिजनों ने डॉक्टर को दिखाया
जानकारी के अनुसार यह मामला शहर के बिजेथुआ निवासी सुमित कुमार सिंह के बच्चे का है। वह यूको बैंक में कर्मचारी हैं, इनकी पत्नी अंकिता सिंह गृहणी हैं। सुमित अपने परिवार के साथ कर्मी नगर कोतवाली के सौरमऊ में रहते है। पत्नी के अलावा उनके दो बच्चे है, एक पांच साल की बेटी और आठ महीने का बेटा अनमय। अनमय की करीब तीन महीने पहले शारीरिक ग्रोथ में कुछ कमी हुई। जिसके बाद परिजनों ने उसे डॉक्टर को दिखाया। सुलतानपुर से लखनऊ तक के डॉक्टरों के देखने के बाद बच्चे को कोई फायदा नहीं हुआ तो परिजनों ने दिल्ली में दिखाया।

बच्चे को बचाने के लिए समाजसेवी ने चलाया अभियान
दिल्ली के डॉक्टरों ने बताया कि अनमय को स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी टाइप वन की बीमारी हो गई है। यह बीमारी करोड़ों बच्चों में कहीं एक को होती है। बीमारी के लक्षण छह माह में दिखने लगते हैं। इस बीमारी को ठीक होने के लिए डॉक्टरों ने 16 करोड़ का इंजेक्शन लगवाने की जरूरत बताई है। इसी के बाद ही बच्चे को नया जीवन मिल पाएगा। परिवार ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर लाख रुपए तो इकट्ठा कर लिए पर इसके बावजूद अभी काफी रुपयों की जरूरत है। अनमय को बचाने के लिए इलाके के समाजसेवी अंक‍ित अभ‍ियान चला रहे हैं। जिसमें वह सोशल मीड‍िया के जर‍िए लोगों से मदद की अपील कर रहे हैं। बच्चे की जान बचाने के लिए अंकित के द्वारा मदद की अपील के बाद चार दिन में 50 से अधिक लोगों की मदद मिली। अंकित का कहना है कि वह अन्य लोगों के भी संपर्क में हैं, जिससे बच्चे का इलाज जल्द से जल्द हो सके।

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