अयोध्या पर सुन्नी वक्फ बोर्ड का सबसे बड़ा फैसला, 7 में 6 सदस्यों ने कहा- दाखिल नहीं करेंगे पुनर्विचार याचिका

योध्या फैसले के खिलाफ सुन्नी वक्फ बोर्ड पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेगा। मंगलवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में मौजूद 7 में से 6 सदस्यों ने इस पर सहमति जताई। सिर्फ एक सदस्य अब्दुल रज्जाक ने इस निर्णय का विरोध किया। वहीं, पांच एकड़ जमीन लेने के मुद्दे पर बोर्ड की अगली बैठक में विचार किया जाएगा।

Asianet News Hindi | Published : Nov 26, 2019 5:19 AM IST / Updated: Nov 26 2019, 02:27 PM IST

लखनऊ (Uttar Pradesh). अयोध्या फैसले के खिलाफ सुन्नी वक्फ बोर्ड पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेगा। मंगलवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में मौजूद 7 में से 6 सदस्यों ने इस पर सहमति जताई। सिर्फ एक सदस्य अब्दुल रज्जाक ने इस निर्णय का विरोध किया। वहीं, पांच एकड़ जमीन लेने के मुद्दे पर बोर्ड की अगली बैठक में विचार किया जाएगा। बता दें, बोर्ड ने पहले ही कोर्ट के फैसले का स्वागत किया था।

वहीं, बोर्ड के निर्णय का विरोध करने वाले अब्दुल रज्जाक ने कहा, बोर्ड अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दायर नहीं करेगा। 6 ने इस पर सहमति भी दे दी है। सिर्फ मैंने आवाज उठाई थी कि रिव्यू पिटीशन दाखिल होनी चाहिए, लेकिन अन्य सदस्यों ने इस पर सहमति नहीं जताई। 

दस्तावेजों से बाबरी मस्जिद का नाम हटाने पर अगली बैठक में फैसला
जानकारी के मुताबिक, अगली बैठक में वक्फ बोर्ड के दस्तावेजों से बाबरी मस्जिद का नाम हटाने पर भी मुहर लगने की संभावना है। सर्वे वक्फ कमिश्नर विभाग ने 75 साल पहले 1944 में सुन्नी वक्फ बोर्ड के दस्तावेजों में बाबरी मस्जिद को दर्ज कराया था। यह वक्फ नंबर 26 पर बाबरी मस्जिद अयोध्या जिला फैजाबाद नाम से दर्ज है। जिसे अब कोर्ट के फैसले के बाद हटाया जाना है। बता दें, सुन्नी वक्फ बोर्ड के दस्तावेज रजिस्टर दफा 37 में एक लाख 23 हजार से ज्यादा वक्फ संपत्तियां दर्ज हैं।

शिया वक्फ बोर्ड 5 एकड़ जमीन लेने को तैयार
वहीं, शिया वक्फ बोर्ड का कहना है कि अगर सुन्नी वक्फ बोर्ड और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) अयोध्या में मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन नहीं लेता है तो सरकार को वह जमीन शिया वक्फ बोर्ड को दे दे। बोर्ड वहां भगवान राम के नाम पर अस्पताल बनवाएगा, जहां मंदिर-मस्जिद के अलावा गुरुद्वारा और चर्च भी होगा। बता दें, बीते 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- जन्मभूमि रामलला विराजमान की है। अयोध्या के किसी प्रमुख स्थान पर सरकार मस्जिद बनवाने के लिए 5 एकड़ भूमि मुस्लिम पक्षकारों को दे। 

ओवैसी के साथ हुई बैठक में लिया गया था पुनर्विचार याचिका का फैसला
बीते दिनों लखनऊ में हुई AIMPLB की बैठक में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का निर्णय लिया गया। बोर्ड की तरफ से कासिम रसूल इलियास ने कहा, याचिका दाखिल करने के साथ मस्जिद के लिए दी गई 5 एकड़ जमीन को भी मंजूर नहीं करने का फैसला लिया गया है। मुसलमान किसी दूसरे स्थान पर अपना अधिकार लेने के लिए उच्चतम न्यायालय नहीं गए थे। वहीं, जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा था, हमें पता है पुनर्विचार याचिका का हाल क्या होना है, लेकिन फिर भी हमारा यह हक है। बता दें, उस बैठक में एएमआईएएम अध्यक्ष असददुद्दीन ओवैसी भी शामिल थे।

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