सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की शिक्षामित्रों की अर्जी, साफ हो गया 69000 शिक्षकों की भर्ती का रास्ता

उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षकों की भर्ती के मामले में सुप्रीम कोर्ट गए शिक्षामित्रों की याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है।  देश की शीर्ष अदालत ने शिक्षामित्रों की याचिका को खारिज कर 69000 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ कर दिया है। 

लखनऊ(Uttar Pradesh). उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षकों की भर्ती के मामले में सुप्रीम कोर्ट गए शिक्षामित्रों की याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है।  देश की शीर्ष अदालत ने शिक्षामित्रों की याचिका को खारिज कर 69000 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले में शिक्षामित्रों की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर इस पर कोर्ट ने जवाब मांगा है। अब मामले में 14 जुलाई को फिर सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस शान्तनु गौडार और जस्टिस विनीत शरण की बेंच ने शिक्षा मित्रों की भर्ती पर रोक लगाने वाली याचिका को खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश के शिक्षामित्रों की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही 69 हजार प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। याचिकाकर्ताओं की दलील सुनकर जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस शान्तनु गौडार और जस्टिस विनीत शरण की बेंच ने याचिका खारिज की। शिक्षामित्रों की ओर दलील रखते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि सिंगल जज बेंच ने हमारे दावे के समर्थन में निर्णय दिया था, लेकिन डिविजन ने हमारा पक्ष पूरी तरह नहीं सुना। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि मसला हमारे कॉन्ट्रैक्ट के रिन्युअल को लेकर भी है और नियुक्ति की प्रक्रिया में लगातार किए गए बदलाव पर भी। इस पर जस्टिल ललित ने पूछा कि कितने शिक्षामित्र नियुक्त हुए थे। जवाब में मुकुल रोहतगी ने कहा कि 30 हजार, फिर सरकार ने शिक्षामित्रों की बजाय 69000 प्राथमिक शिक्षकों की नई भर्ती निकाली।

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शिक्षामित्रों के वकील से कोर्ट ने पूंछे ये सवाल 
शिक्षामित्रों की ओर से दलील देते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि परीक्षा के बाद नया कटऑफ भी तय किया। इस पर जस्टिस ललित ने पूछा- कटऑफ विज्ञापन का हिस्सा था। इस पर रोहतगी ने कहा कि नहीं, सात जनवरी 2019 को परीक्षा होने के बाद न्यूनतम कटऑफ तय किया। 60-65 प्रतिशत शिक्षकों के लिए जबकि शिक्षा मित्र के लिए ये 40-45 फीसदी था। जस्टिस ललित ने कहा कि यानी आपके दो सुझाव हैं कि बीएड कभी भी अर्हता नहीं थी और परीक्षा के बाद कटऑफ तय करना गलत। इस पर मुकुल रोहतगी ने कहा कि शिक्षामित्रों को बहुत कम वेतन मिल रहा है। फिर जस्टिस ललित ने कहा कि यानी आप चाहते हैं कि 45 फीसदी सामान्य के लिए और 40 फीसदी आरक्षित वर्ग के लिए किया जाए। मुकुल रोहतगी ने कहा कि जी, इससे कई लोगों को मौका मिलेगा। इसके बाद याचिका खारिज कर दी गई। 
 

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