'अच्छा होता चंदा लेकर प्राइवेट में करवा लेते इलाज' सुरेश मांझी के इलाज के लिए हैलट में घरवालों ने मांगी भीख

कानपुर में भीख मंगवाने के लिए तमाम यातनाओं को झेलकर आए सुरेश मांझी की दिक्कतें कम होने का नाम नहीं ले रही है। हैलट में इलाज के लिए उसके घरवालों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

Asianet News Hindi | Published : Nov 5, 2022 4:53 AM IST

कानपुर: भिखारी गैंग की यातनाएं सहने वाले नौबस्ता रविंद्रनगर के 30 वर्षीय सुरेश मांझी का इलाज जारी है। हालांकि इलाज के दौरान उन्हें सरकारी सिस्टम की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। यहां तक सुरेश और उसके घरवालों को हैलट में इलाज के लिए भीख मांगनी पड़ी। पूरी रात दर्द से तड़पने के बाद शुक्रवार की सुबह घरवाले उसे नौबस्ता थाना ले गए थे। वहां हालत बिगड़ने पर थाना प्रभारी संजय पांडे, दारोगा और दो सिपाहियों ने सरकारी जीप से सुरेश को हैलेट पहुंचाया था।

बिगड़ती गई हालत, नहीं किया गया भर्ती
बताया गया कि साढ़े दस बजे सुरेश को हैलट इमरजेंसी ले जाया गया। वहीं डॉक्टर ने बताया कि इस मामले में टीम गठित करने का निर्देश दे दिया गया है। इस प्रकरण में सीएमओ के आदेश पर ही सुरेश के एडमिट किया जाएगा। इस बीच सुरेश की तबियत और भी बिगड़ती चली गई। पार्षद के मुताबिक काफी जद्दोजहद के बाद दोपहर तकरीबन डेढ़ बजे नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में डॉ. नम्रता पटेल ने भी उसकी आंखों की जांच तो की लेकिन भर्ती नहीं किया। यहां ओपीडी से निकलते ही सुरेश बेहोश हो गया।

परिजन बोले इससे अच्छा होता चंदा लेकर करवा लेते इलाज
हैलेट के डॉक्टरों ने चिट्ठी का हवाला देकर सुरेश को भर्ती करने से इंकार कर दिया। इस बीच सुरेश वहीं पर तड़पता रहा और भाई रमेश मांझी व पत्नी छठदेवी उसकी हालत देख इलाज के लिए भीख मांगते रहे। पार्षद ने बताया कि पुलिसकर्मी थाना अध्यक्ष की ओर से लिखी गई चिट्ठी को लेकर गए थे और डॉक्टरों से इलाज की दरख्वास्त की। हालांकि इस बीच चिकित्सा अधिकारी ने पुलिस के किसी बड़े अधिकारी या सीएमओ के नाम चिट्ठी लिखने की सलाह दी। दोपहर में परिजन और पुलिसकर्मी सुरेश को लेकर कांशीराम अस्पताल के बगल में सीएमओ कार्यालय पहुंचे। इसी दौरान डीसीपी साउथ कार्यालय से सुरेश के नाम पर चिट्ठी बनी। सीएमओ ने डॉक्टरों की पैनल से इलाज कराने का आदेश भी जारी किया। इसके बाद शाम को तकरीबन साढ़े पांच बजे सुरेश के कांशीराम अस्पताल में भर्ती करवाया गया। परिजनों ने कहा कि उन्होंने अस्पताल में डॉक्टरों का अमानवीय चेहरा देखा। इससे अच्छा होता कि वह लोगों से चंदा लेकर प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवा लेते। 

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