सात समुंदर पार से आए हैं संगम के ये विदेशी मेहमान, कई सालों से जारी है आने का सिलसिला

ये पक्षी रूस के साइबेरिया इलाके से आते हैं, जिन्हें हम साइबेरियन पक्षी कहते हैं। भारत आने के लिए ये पक्षी 4000 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबा सफर उड़कर पूरा करते हैं। ये पक्षी ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान को पार करते हुए भारत आते हैं। इतना लम्बा सफर ये समूह में उड़ते हुए पूरा करते हैं।

Ankur Shukla | Published : Jan 12, 2020 7:46 AM IST

प्रयागराज ( Uttar Pradesh) । धर्म नगरी प्रयागराज में इन दिनों माघ मेला चल रहा है। इस मेले में पूरी देश भर से लोग संगम में स्नान और कल्पवास करने आए हैं। इस ठंड में भी अपनी आस्था के चलते लोग सुबह-सुबह ठंडे पानी में डुबकी लगाते हैं, इनमें ये खास किश्म के पक्षी भी शामिल हैं, जो हजारों किमी दूर से संगम नगरी में आए हैं। इन विदेशी मेहमानों की अठखेलियां लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करती है। बड़ी बात तो यह कि इन पक्षियों को लोग श्रद्धालु खासकर कल्पवासी अपने सिर और हाथों पर बैठाकर भोजन (नमकीन) खिलाते हैं। जिसे ये बड़े चाव से अठखेलियां करते हुए खाते हैं।

माघ मेले में इस तरह आते हैं ये पक्षी
ये पक्षी रूस के साइबेरिया इलाके से आते हैं, जिन्हें हम साइबेरियन पक्षी कहते हैं। भारत आने के लिए ये पक्षी 4000 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबा सफर उड़कर पूरा करते हैं। ये पक्षी ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान को पार करते हुए भारत आते हैं। इतना लम्बा सफर ये समूह में उड़ते हुए पूरा करते हैं।

भारत में हैं इनका लैंडिंग स्नान
भारत में इनका एक लैंडिंग स्थान है। जानकार बताते हैं कि ये पक्षी सबसे पहले महाराष्ट्र के बारामती पहुंचते हैं। इसके बाद बारामती में स्थित 'बिग बर्ड सेंचुअरी' में जाते हैं, फिर यहां इकठ्ठा होकर ये पक्षी भारत के कोने-कोने में जाते हैं और पूरी ठंड यहीं बिताते हैं।

इसलिए आते हैं भारत
साइबेरिया बहुत ही ठंडी जगह है जहां नवंबर से लेकर मार्च तक तापमान जीरो से बहुत 50-60 डिग्री नीचे तक चला जाता है। इस तापमान में इन पक्षियों का जिंदा रह पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसीलिए ये पक्षी हजारों किलोमीटर की दूरी करके भारत आते हैं, क्योंकि साइबेरिया की तुलना में यहां बहुत कम ठंड पड़ती है और संगम का खुला छोर इन पक्षियों के जीवित रहने के लिए अच्छा माहौल तैयार करता है। 

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