इसी माह निर्भया कांड के दोषियों को हो सकती है फांसी, यह शख्स खींचेगा फंदा

Published : Dec 05, 2019, 11:27 AM ISTUpdated : Dec 05, 2019, 11:32 AM IST
इसी माह निर्भया कांड के दोषियों को हो सकती है फांसी, यह शख्स खींचेगा फंदा

सार

 फांसी से पहले ट्रायल होता है, ताकि फांसी देते समय कोई गलती न हो। फांसी के फंदे से कोई भी अपराधी बिना मरे वापस न आ सके।

लखनऊ (उत्तर प्रदेश) । निर्भया गैंगरेप और मर्डर कांड के चारों दोषियों को इसी माह फांसी की सजा दी जा सकती है। ऐसे में फांसी का फंदा पवन जल्लाद खींचेगा, जिसकी चार पीढ़ियां यही काम करती रही हैं। बता दें कि पवन मेरठ जेल से जुड़ा अधिकृत जल्लाद है। हर महीने उसे तीन हजार रुपए मिलते हैं। उसका घर मेरठ शहर के बाहर बसे उपनगरीय इलाकों में है। वह पार्ट टाइम में मेरठ शहर में साइकिल पर कपड़ा बेचने का का काम करता है।

पांच को मिली है फांसी की सजा
बता दें कि 2012 में दिल्ली के निर्भया के गैंगरेप और हत्या के मामले में छह आरोपी सामने आए थे। इसमें से एक नाबालिग दोषी को सजा के बाद रिहा कर दिया गया था, जबकि अन्य सभी को फांसी की जा सुनाई गई थी। कोर्ट के फैसले के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया, किंतु याचिका खारिज हो गई। जिसके बाद अब उनमें से एक आरोपी विनय शर्मा ने राष्ट्रपति से दया याचिका की है। हालांकि दिल्ली सरकार ने इस मर्सी अपील पर भी दया न दिखाने की अपील की है।

इनसे सीखी थी फांसी देने की टेक्निक
पवन ने अपने दादा और पिता से फांसी टेक्निक सीखी थी। वह कहते हैं कि कोशिश होती है जिसे फांसी दी जा रही हो, उसे कम से कम कष्ट हो। वैसे पवन फांसी देने की ट्रेनिंग के तौर पर एक बैग में रेत भरते  और उसका वजन मानव के वजन के बराबर होता है। इसी को रस्सी के फंदे में कसकर वो ट्रेनिंग को अंजाम देते हैं। बार-बार प्रैक्टिस इसलिए होती है कि जिस दिन फांसी देनी हो, तब कोई चूक नहीं हो।

फांसी से पहले किया जाता है ट्रायल
पवन जल्लाद ने बताया कि फांसी से पहले ट्रायल होता है, ताकि फांसी देते समय कोई गलती न हो। फांसी के फंदे से कोई भी अपराधी बिना मरे वापस न आ सके। 80 से ज्यादा फांसी में हो चुके हैं शामिल 
अपने दादा और पिता के साथ पवन ने मदद देने के दौरान करीब 80 फांसी देखीं है। पवन का परिवार सात लोगों का है। हालांकि ये तय है कि उनका बेटा जल्लाद नहीं बनने वाला, क्योंकि वो ये काम नहीं करना चाहता है। बेटा एक दो साल पहले तक सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा था।

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