इसलिए कठिन साधना कर रहा ये शख्स, देखने के लिए विदेशों से भी आएंगे लोग

इस गांव को प्रह्लाद की नगरी भी कहा जाता है। यहां होलिका दहन के दिन शुभ लग्न में कुंड में स्नान के बाद दहकते अंगारों को मोनू पंडा को पार करना होगा, जिसके बाद उनका ये तप समाप्त होगा। इस दृष्य को देखने के लिए लोग देश-विदेश से आते हैं।

Ankur Shukla | Published : Feb 10, 2020 4:36 AM IST / Updated: Feb 10 2020, 10:12 AM IST

आगरा (Uttar Pradesh) । नौ मार्च को एक बार फिर होली की लपटों के बीचों बीच से गुजरने की साक्षात लीला फालैन गांव में होने जा रही है। इसके लिए परंपराओं के मुताबिक गांव का मोनू पंडा  (27) घोर तप पर बैठ गया है। सैकड़ों ग्रामीणों ढोल नगाड़ों के साथ उसने गांव की परिक्रमा भी लगाई। बता दें कि इस गांव को प्रह्लाद की नगरी भी कहा जाता है। यहां होलिका दहन के दिन शुभ लग्न में कुंड में स्नान के बाद दहकते अंगारों को मोनू पंडा को पार करना होगा, जिसके बाद उनका ये तप समाप्त होगा। इस दृष्य को देखने के लिए लोग देश-विदेश से आते हैं।

ये है परंपरा
फालैन गांव में सदियों से होली की लपटों के बीच से गुजरने की साक्षात लीला यहां का एक पंडा परिवार दिखाते चला आ रहा है। इस बार मोनू पंडा इस लीला को कर रहे हैं। वो रविवार को सुबह सैकड़ों ग्रामीणों के साथ ढोल, ढप और नगाड़ों के बीच होली गीतों पर गांव की परिक्रमा किए। इस दौरान ग्रामीण गुलाल उड़ाते हुए समाज गायन कर रहे थे। पंडा ने होलिका स्थल का पूजन किया।

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इस तरह गुजारेंगे एक माह
-एक माह तक घर से दूर रहेंगे।
-पूरी तरह ब्रह्मचर्य का पालन करेंगे।
-गांव में स्थित प्रह्लाद कुंड तट पर बने प्रह्लाद मंदिर में ही रहेंगे।
-एक माह तक मंदिर में जमीन पर ही सोएंगे।
-केवल फलाहार का सेवन करेंगे। 
-चप्पल भी नहीं पहनेंगे।
-एक माह तक गांव की सीमा से बाहर नहीं जाऐंगे।
-रोज सुबह चार बजे उठकर कुंड में स्नान करने के साथ ही सात बजे तक पूजा करेंगे।
-शाम को साढ़े तीन बजे से सात बजे तक पूजा करेंगे।
-रात आठ बजे से 11 बजे तक विशेष जाप प्रतिदिन करना होगा। 
-होलिका दहन के दिन शुभ लग्न में ये तप समाप्त होगा।
-कुंड में स्नान के बाद दहकते अंगारों को पार करना होगा।

रहती है होली की धूम
प्रह्लाद के मेले के नाम से प्रसिद्ध फालैन गांव की इस होली में आसपास बड़ा नगाड़ा बजाती हुई चौपाल मंडलियां आती हैं और रात भर होली के रसिया गांव में गूंजते हैं। देश-विदेश से आने वाले दर्शक हों या स्थानीय लोग सभी होलिका के इस दृश्य को देखने के लिए सांस थासाधे बैठे रहते हैं। इतना ही नहीं इस दृश्य को कैमरे में कैद करने के लिए विदेशी पर्यटकों की टोली भी होली से पूर्व इस गांव में आ चुकी है। 

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