होली के दिन इन 28 गांव मनाते हैं मातम, फिर 3 दिन तक उड़ाते हैं गुलाल..वजह जानकर हो जाएगा सीना चौड़ा

1421 ईसवीं में डलमऊ के राजा डलदेव नए संवत्सर के आगमन का जश्न मना रहे थे। इसी दौरान जौनपुर के राजा शाहशर्की की सेना ने किले पर आक्रमण कर दिया था। राजा डलदेव अपने साथ मात्र दो सौ सैनिक लेकर युद्ध के मैदान में कूद पड़े।
 

रायबरेली (Uttar Pradesh) ।  होली के दिन डलमऊ तहसील क्षेत्र के 28 गांवों में शोक मनाया जाएगा। ये शोक तीन दिन तक मनाया जाता है, जिसके बाद होली मनाया जाता है। बता दें कि ये परंपरा 1421 ईसवी से निभाई जा रही है। जिसके पीछे की पूरी कहानी आज हम आपको बता रहे हैं।

1421ईसवी की है ये कहानी
1421 ईसवीं में डलमऊ के राजा डलदेव नए संवत्सर के आगमन का जश्न मना रहे थे। इसी दौरान जौनपुर के राजा शाहशर्की की सेना ने किले पर आक्रमण कर दिया था। राजा डलदेव अपने साथ मात्र दो सौ सैनिक लेकर युद्ध के मैदान में कूद पड़े।

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होली के ही दिन वीरगति को प्राप्त हो गए थे राजा
शाहशर्की की सेना से युद्ध करते समय पखरौली गांव के निकट होली के दिन राजा वीरगति को प्राप्त हो गए। इस युद्ध में राजा डलदेव के दो सौ और शाहशर्की के दो हजार सैनिक मारे गए थे। इस ऐतिहासिक घटना को सदियां गुजर गईं, मगर आज भी क्षेत्र के 28 गांवों के लोगों के मन में इसकी यादें गमजदा हैं। तभी ये तीन दिन शोक मनाने के बाद रंग, गुलाल खेलते हैं।

इन गांवों में दो अप्रैल को खेली जाएगी होली
डलमऊ, पूरे रेवती, खपराताल, पूरे ज्वाला, पूरे भागू, नाथ खेड़ा, पूरे नाथू, पूरे गड़रियन, नेवाजगंज, पूरे वल्ली, मलियापुर, पूरे मुराइन, भटानीहार, महुवाहार, पूरे धैताली व मुर्शिदाबाद में दो अप्रैल को होली खेली जाएगी।
 

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