झारखंड में बीजेपी नेता जीतराम मुंडा की हत्या के मामले में यूपी एसटीएफ ने वाराणसी से दो और आरोपी गिरफ्तार किए हैं। इससे पहले इस मामले में कई गिरफ्तारी हो चुकी हैं. वाराणसी में पकड़े गए दोनों आरोपी शातिर बदमाश बताए जा रहे हैं।
वाराणसी: झारखंड (Jharkhand) की राजधानी रांची में 22 सितंबर को हुए भाजपा नेता जीतराम मुंडा (BJP leader Jitram Munda) हत्याकांड में वांछित मुन्ना बजरंगी गिरोह के दो शूटरों को एसटीएफ (UP STF) वाराणसी यूनिट ने बनारस से गिरफ्तार किया है। उनके कब्जे से हत्या में इस्तेमाल जौनपुर नंबर की एक कार बरामद हुआ है। एसटीएफ वाराणसी यूनिट के निरीक्षक पुनीत परिहार और निरीक्षक अनिल कुमार सिंह के नेतृत्व में दोनों वांछितों को बुधवार सुबह नदेसर मिंट हाउस के पास दबोचा गया।
पांच लाख में दी थी हत्या की सुपारी
मुन्ना बजरंगी गैंग के भाड़े का शूटर अंबेडकर नगर निवासी अमन धनबाद के बहुचर्चित नीरज सिंह हत्याकांड में रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में बंद है। अमन ने जेल में ही मनोज मुंडा से भाजपा नेता की हत्या की सुपारी पांच लाख रुपये में ली थी। अमन ने जीतराम की हत्या आजमगढ़ के देवगांव निवासी अलीशेर उर्फ बाबूसाहब उर्फ बूढ़ा और गाजीपुर के भुजाड़ी निवासी हेमंत यादव उर्फ डब्लू से कराई थी। बीते 25 अक्टूबर को एसटीएफ ने मुठभेड़ में अलीशेर और उसके साथी कामरान को मार गिराया था। अजीत और राजीव ने अलीशेर को झारखंड पहुंचने में मदद की थी।
बदला लेने के लिए रची थी साजिश
दोनों आरोपितों ने पूछताछ में बताया कि 2017 में अमन सिंह के साथ मनोज मुंडा जेल में बंद था। जेल में उनके साथ पीएलएफआइ नक्सली डेविड उर्फ बलराम साहू भी था। उसने ही मनोज की मुलाकात अमन से कराई। जीतराम की गवाही के कारण मनोज को सात साल की सजा हुई थी। मनोज इसका बदला लेना चाहता था। जीतराम की हत्या की सुपारी लेने के बाद अमन ने राजीव और अजीत के जरिए फरारी काट रहे एक लाख के इनामी अलीशेर से बात की। राजीव, अजीत ने डस्टर कार से अलीशेर और हेमंत को डेहरी आनसोन तक छोड़ा था। दोनों आरोपितों आपस में ममेरे भाई हैं और मुन्ना बजरंगी के करीबी थे। अजीत के पिता गजराज सिंह ने शुरुआती दिनों में मुन्ना बजरंगी की मदद की थी।
22 सितंबर को ओरमांझी में कर दी गई थी हत्या
भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के तत्कालीन जिला अध्यक्ष जीतराम मुंडा की हत्या 22 सितंबर को ओरमांझी के एक होटल में की गई थी। हत्यारे बाइक से आए थे और जीतराम मुंडा को तब गोली मारकर हत्या करने के बाद फरार हो गए थे। जब वह होटल के मालिक राज किशोर साहू के साथ चाय पी रहे थे। मनोज मुंडा ने हत्या की सुपारी उत्तर प्रदेश के शूटरों को दी थी। शूटर 22 सितंबर की सुबह रांची पहुंचे थे और शाम को हत्या की घटना को अंजाम देने के बाद फरार हो गए थे।
हत्या की घटना के बाद झारखंड में राजनीतिक उबाल आ गया था। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने घटना की निंदा की थी। मामले में भाजपा नेता की पत्नी ने मनोज मुंडा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
मनोज मुंडा को किसी मामले में हुई थी सजा
बताते हैं कि मनोज मुंडा और जीतराम मुंडा के बीच पुरानी दुश्मनी चली आ रही थी। जीतराम मुंडा की गवाही पर मनोज मुंडा को किसी मामले में सजा हुई थी। तभी से मनोज मुंडा जीतराम मुंडा के खिलाफ साजिश रच रहा था। मनोज मुंडा जेल में था और जेल से निकलने के बाद उसने जीतराम की हत्या की साजिश रची थी।
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