माया-मोह छोड़कर सन्यासी बनने वाले 'संपत्ति' के लिए भिड़े, एक दूसरे पर लगा रहे गंभीर आरोप

माया-मोह,घर-परिवार सब कुछ छोड़कर सन्यास लेने वाले लोग अब सम्पत्ति के लिए एक दूसरे के आमने सामने हैं। संगम की रेती पर चलने वाले कल्पवास में सन्यासियों का दो गुट एक दूसरे के आमने-सामने आ गया है। संपत्ति के लिए उपजे विवाद में दोनों गुट एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं

प्रयागराज(Uttar Pradesh ). माया-मोह,घर-परिवार सब कुछ छोड़कर सन्यास लेने वाले लोग अब सम्पत्ति के लिए एक दूसरे के आमने सामने हैं। संगम की रेती पर चलने वाले कल्पवास में सन्यासियों का दो गुट एक दूसरे के आमने-सामने आ गया है। संपत्ति के लिए उपजे विवाद में दोनों गुट एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। दोनों एक दूसरे पर संस्था की जमीन बेंचने, संस्था के पैसे का दुरूपयोग करने आदि का आरोप लगाते हुए रार ठाने हुए हैं। 

दंडी संन्यासियों की राष्ट्रीय संस्था के दो गुटों की ओर से अपनी-अपनी ताकत दिखाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। नए गुट अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद के अध्यक्ष स्वामी ब्रह्माश्रम व पुराने गुट के अध्यक्ष स्वामी विमलदेव पर तमाम गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने पुराने गुट के अध्यक्ष स्वामी विमलदेव पर ब्रह्मलीन संतों के नाम आवंटित भूमि पर कब्जा कर कल्पवासियों को आवंटित करने और उनसे मोटी रकम वसूलने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि समय आने पर इस तरह की विसंगतियों में सुधार किया जाएगा, ताकि संतों केनाम पर लूट रोकी जा सके।

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आरोप लगाने वाले सन्यासी संस्था से निष्काषित 
दंडी सन्यासी संस्था से बागी हुए आठ सन्यासियों को अध्यक्ष विमलदेव ने संस्था से निष्कासित कर दिया है। उन्होंने समिति के बैंक खाते से किसी भी तरह के आहरण-वितरण पर रोक लगाने के लिए बैंक प्रबंधक को पत्र जारी किया है। स्वामी विमलदेव के कड़े एक्शन से दंडी सन्यासियों के बीच रार बढ़ गई है। विमल देव के इस फैसले के बाद से दूसरे गुट के ब्रह्माश्रम ने गंभीर आरोप लगाए हैं। 

मठ की भूमि बेंचने का आरोप 
स्वामी विमलदेव पर दूसरे गुट के सन्यासियों ने मठ की भूमि बेंचने का आरोप लगाया है। उन्होंने स्वामी विमलदेव पर वाराणसी समेत अन्य शहरों में स्थापित मछली बंदर मठ व वृंदावन के मठ की भूमि बेचने का भी आरोप लगाया। उनका कहना था कि निजी लाभ के लिए स्वामी विमलदेव ने मठ की तमाम सम्पत्तियों का विक्रय कर दिया। 

दंडी संन्यासियों के देशभर में 1200 से अधिक मठ-मंदिर
दंडी संन्यासियों के देशभर में 1200 से अधिक मठ मंदिर हैं। सभी में प्रतिवर्ष काफी अधिक दान व चढ़ावा भी आता है। कई मठों के पास अपनी खुद की करोड़ों की संपत्ति है। इन्ही सम्पत्तियों के लिए दंडी सन्यासियों में इन दिनों रार ठनी हुई है। दो गुट आमने सामने आकर एक दूसरे पर इन्ही सम्पत्तियों के बेंचने,दुरूपयोग करने व कब्जा करने के आरोप लगा रहे हैं। 

क्या कहते हैं दोनों पक्षों के प्रमुख 

- अखिल भारतीय दंडी सन्यासी परिषद के अध्यक्ष ब्रह्माश्रम ने बताया मछली बंदर मठ के महंत ने समिति पर कब्जा जमा लिया था। समिति पर एकाधिकार बताना शुरू कर दिया था। जिसके बाद से दंडी सन्यासियों में विरोध पैदा हो गया। मठ के महंत विमलदेव की ओर से की गई गड़बड़ियों में सुधार के लिए कदम उठाए जाएंगे। 

- वहीं अखिल भारतीय दंडी सन्यासी प्रबंध समिति के अध्यक्ष विमलदेव के मुताबिक अपने शिष्यों के नाम की भूमि मैंने अपने साथ ही संबद्ध की है। ऐसा ही पूर्व में सभी पीठाधीश्वरों ने किया था। ब्रह्मलीन संतों की भूमि हथियाने व कमाई करने का आरोप निराधार है। स्वार्थ के लिए कीचड़ उछालने और साजिश रचने वालों को निष्कासित कर दिया गया है। अलग समिति का कोई अस्तित्व नहीं है।

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