दो प्रवासी श्रमिकों ने लगाई फांसी, मौत के पीछे की ये है दर्दभरी कहानी

लॉकडाउन होने के बाद उसकी कंपनी बंद हो गई। इससे वह गांव लौट आया था। उसके माता-पिता की पहले बी मौत हो चुकी थी और वह अकेला था। मुंबई से लौटने के बाद उसके पास राशन आदि भी खरीदने के लिए धन नहीं था। 

Asianet News Hindi | Published : May 28, 2020 1:43 PM IST / Updated: May 28 2020, 07:33 PM IST

बांदा (Uttar Pradesh) । लॉकडाउन के बीच अपने घर पहुंचे दो प्रवासी श्रमिकों ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर खुदकुशी कर ली। परिजन और गांव के लोग श्रमिकों के आत्महत्या की वजह आर्थिक संकट बता रहे हैं। पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। मामले की जांच शुरू कर दी गई है। 
 
राशन तक के लिए नहीं थे पैसे, घर में था अकेला
पैलानी थाना क्षेत्र के सिंधन कलां गांव गांव निवासी मनोज (20) दस दिन पहले मुंबई से लौटा था। उसने अपने घर के कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी। वह मनोज मुंबई में एक निजी कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता था। लेकिन, लॉकडाउन होने के बाद उसकी कंपनी बंद हो गई। इससे वह गांव लौट आया था। उसके माता-पिता की पहले बी मौत हो चुकी थी और वह अकेला था। मुंबई से लौटने के बाद उसके पास राशन आदि भी खरीदने के लिए धन नहीं था। 

खर्च के लिए पैसे न होने से था परेशान
मटौंध थाना क्षेत्र के लोहरा गांव निवासी सुरेश (22) लॉकडाउन में दिल्ली में फंसा था। पांच दिन पहले ही अपने गांव लौटा था। जिसने खेत के समीप आत्महत्या कर लिया। परिजनों का कहना है कि दिल्ली से लौटने के बाद सुरेश के पास खर्च के लिए पैसे नहीं थे, जिसके चलते उसने फांसी लगा ली। 
(प्रतीकात्मक फोटो)

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