Inside Story: UP चुनाव में दो दल दो बाहुबली सत्तारण के लिए तैयार,अब जनता चुनेगी गोसाईगंज विधानसभा का 'महाबली'

दोनों बाहुबलियों के कारण यह सीट काफी चर्चित रही है। पहली बार के चुनाव में सपा ने अपना प्रत्याशी अभय सिंह को, भाजपा ने गोकरण द्विवेदी और बीकापुर विधानसभा सीट से 6 बार विधायक रहे सीताराम निषाद को कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने खब्बू तिवारी को मैदान में उतारा। खब्बू और अभय की सीधी टक्कर हुई। परिणाम निकला की खब्बू तिवारी को अभय ने 58681मतो के अंतर से हरा दिया।

अनुराग शुक्ला
अयोध्या:
एक बार फिर अयोध्या की गोसाईगंज विधानसभा में दो बाहुबलियों की सीधी टक्कर है। आने वाले दिनों में यहां की जनता वोट देकर अपना महाबली चुनेगी। इस बार समाजवादी पार्टी ने अभय सिंह को तो भारतीय जनता पार्टी ने खब्बू तिवारी की पत्नी आरती तिवारी को मैदान में उतारा है। खब्बू एक मामले में सजा काट रहे है, और वे जेल में है। वही से चुनाव की कमान संभालेंगे अपने समर्थकों के बल पर। दूसरी तरफ अभय सिंह भी चुनावी गणित सेट करने में जुटे हैं।

2012 में हुआ परिसीमन, तीसरी बार बाहुबली है आमने - सामने
अंबेडकरनगर और सुल्तानपुर जिले से सटी गोसाईगंज विधानसभा सीट का गठन 2012 में नए परिसीमन के बाद हुआ था। दोनों बाहुबलियों के कारण यह सीट काफी चर्चित रही है। पहली बार के चुनाव में सपा ने अपना प्रत्याशी अभय सिंह को, भाजपा ने गोकरण द्विवेदी और बीकापुर विधानसभा सीट से 6 बार विधायक रहे सीताराम निषाद को कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने खब्बू तिवारी को मैदान में उतारा। खब्बू और अभय की सीधी टक्कर हुई। परिणाम निकला की खब्बू तिवारी को अभय ने 58681मतो के अंतर से हरा दिया। पहली बार ही जीत का सेहरा अभय सिंह ने पहना। 

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2017 में खब्बू के सिर सजा जीत का ताज
2017 के विधानसभा के चुनाव में एक बार फिर दो बाहुबली आमने-सामने हुए। संयुक्त रूप से अपना दल और भाजपा ने अपने प्रत्याशी के रूप में खब्बू तिवारी को टिकट दिया। एक बार फिर अभय सिंह सपा से मैदान में थे। लेकिन इस बार खब्बू मजे नेता के रूप में उभरे और ब्राह्मण कार्ड फेंका। नतीजा ये हुआ कि खब्बू को 89586 मत और अभय को 77966  मत मिले।  11678 मतों से खब्बू तिवारी जीत गए। बता दें गोसाईगंज में जातीय समीकरण से जीत हार सिद्ध होती है। यहां पर  कुल 374887 मतदाता है। जिसमे पुरुष 201751 और महिला 173119 मतदाता है। थर्ड जेंडर की संख्या 17 है। कुल मिलाकर जातीय समीकरण देखे तो सवर्ण और दलित मतदाता ही निर्णायक होते रहें है ।

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