Special Story: यूपी चुनाव 2022 में जानिए कहां हैं ये 5 बाहुबली, कैसे दे रहे हैं चुनावी तैयारियों को धार

उत्तर प्रदेश की राजनीति में बाहुबलियों की एंट्री कोई नई बात नहीं है। कई ऐसे बाहुबली हुए हैं जिन्होंने अपराध से साम्राज्य बनाने के बाद विधानसभा और फिर लोकसभा तक का रुख किया है। यूपी विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद राजनीतिक दलों द्वारा प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की जा रही है। इस बीच चर्चा है कि आखिर अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी, धनंजय सिंह, रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया और आजम खान जैसे बाहुबली कहां से चुनाव लड़ेंगे। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 21, 2022 6:48 AM IST / Updated: Jan 21 2022, 12:21 PM IST

गौरव शुक्ला

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति और अपराधियों का साथ चोली दामन के जैसे रहा है। यूपी में कई ऐसे बाहुबली हुए हैं जिन्होंने अपराध के रास्ते पर चलकर ही विधानसभा और फिर संसद तक का रुख किया है। प्रदेश की सियासत में माफियाओं और बहुबलियों का भी काफी लंबे समय तक बोलबाला रहा है। कई किस्से तो ऐसे भी सामने आए हैं जब बाहुबलियों ने जेल से चुनाव लड़कर जीत का सफर तय कर विधानसभा में एंट्री कर ली है। 
हालांकि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की बात की जाए तो ऐसे कई बाहुबली है जिनकी राजनीति इस समय मुहाने पर आ गई है। बेहतर कानून व्यवस्था और जीरो टॉलरेंस की नीति पर चली भाजपा सरकार ने माफियाओं पर ऐसा कड़ा प्रहार किया कि अतीक अहमद, धनंजय सिंह और मुख्तार अंसारी जैसे बाहुबली भी प्रदेश की सियासत में हाशिए पर आ गए हैं। 

जेल में अतीक अहमद, प्रयागराज से चुनावी मैदान में पत्नी 
प्रयागराज में माफिया व पूर्व सांसद अतीक अहमद का खासा प्रभाव रहा है। अहमदाबाद जेल में बंद इस बाहुबली के सियासी गठजोड़ और रसूख का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह 5 बार विधायक और 1 बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। अतीक सपा और अपना दल के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। अतीक 1989,1991 और 1993 में निर्दलीय जबकि 1996 में सपा के टिकट पर इलाहाबाद की पश्चिम विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे। 
अतीक भले ही मौजूदा समय में सलाखों के पीछे हैं लेकिन उनकी पत्नी शाइस्ता परवीन ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के टिकट पर प्रयागराज पश्चिम से चुनावी मैदान में है।  ज्ञात हो कि अतीक के अहमदाबाद जेल में बंद होने के बाद भी शाइस्ता ने एआईएमआईएम ज्वाइन की थी। जिसके बाद से ही कयास लगाए जाने लगे थे कि अतीक खुद या उनके परिवार का कोई सदस्य इस सीट से मैदान में उतर सकता है। गौरतलब है कि योगी सरकार ने कार्यकाल के दौरान ही अतीक के गैंग से जुड़ी संपत्तियों पर कई कार्रवाई की हैं। राज्य सरकार ने अतीक और उनसे जुड़े मामले में तकरीबन 203 करोड़ की अवैध संपत्ति को जब्त करने के साथ ही गैंग के तकरीबन 17 लोगों को गिरफ्तार किया है। 

सुभासपा के टिकट पर लड़ने की तैयारी में मुख्तार अंसारी
पूर्वांचल के सबसे बड़े और रसूखदार बाहुबलियों में मुख्तार अंसारी का नाम आता है। मऊ निर्वाचन क्षेत्र से रिकॉर्ड 5 बार चुनाव में जीत दर्ज करने वाले मुख्तार की वहां तूती बोलती थी। तकरीबन 20 से 30 एसयूवी गाड़ियों का काफिला लेकर चलने वाले इस माफिया अंसारी का जबरदस्त खौफ लोगों में होता था। फिलहाल मौजूदा समय में मुख्तार बांदा जेल में सजा काट रहे हैं। योगी सरकार ने उन पर कड़ी कार्रवाई करने के साथ ही उनकी अवैध कमाई को भी रोक दिया है। बड़ी संख्या में मुख्तार की संपत्तियों पर न सिर्फ सरकार ने बुलडोजर चलवाकर उसे जमींदोज करवा दिया बल्कि उसके गुर्गों को भी सलाखों के पीछे पहुंचाया। माफिया डॉन मुख्तार पर इस समय 50 से भी अधिक मुकदमे चल रहे हैं। हालांकि इस बार भी मुख्तार के मऊ के सदर सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा है। इस बार वह ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। 

चुनाव से दिख रही धनंजय सिंह की दूरी  
कॉलेज के दिनों से ही अपराध की दुनिया में दस्तक देने वाले पूर्व सांसद और बाहुबली नेता धनंजय सिंह ने अपनी सियासी पारी निर्दलीय चुनाव जीतकर शुरू की थी। अपराध के रास्ते ही वह सत्ता की दहलीज तक पहुंचे और बहुबल के दम पर ही वह बीएसपी चीफ मायावती की नजरों में आएं। बसपा चीफ के संपर्क में आने का उन्हें फायदा भी हुआ और वह लोकसभा तक पहुंच गए। लेकिन यह गठजोड़ ज्यादा न जल सका और दोनों के बीच मतभेद उत्पन्न हो गए। नतीजा यह हुआ की मायावती ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। उसके बाद से धनंजय के सितारे गर्दिश में हैं और वह एक भी चुनाव नहीं जीत पाए हैं। पूर्व सांसद को यूपी पुलिस ने भगौड़ा घोषित कर रखा है और उन पर 25 हजार का इनाम भी घोषित है। 2019 के लोकसभा चुनाव से जैसे धनंजय ने दूरी बनाई हुई थी वैसी ही दूरी विधानसभा चुनाव को लेकर भी बताई जा रही है। 

कुंडा से चुनावी मैदान में रघुराज प्रताप सिंह, 11 प्रत्याशी के नाम का ऐलान  
पूर्व कैबिनेट मंत्री और बाहुबली नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया सियासत की बिछ चुकी बिसात पर अकेले पड़ते दिखाई दे रहे हैं। वह प्रतापगढ़ की कुंडा विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में है। गठबंधन की आस खत्म होने के बाद राजा भैया की जनसत्ता दल लोकतांत्रिक ने विधानसभा चुनाव के लिए 11 प्रत्याशियों की लिस्ट भी जारी कर दी है। पिता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के लिए उनके दोनों बेटे भी चुनावी माहौल तैयार करने में जुटे हैं। शिवराज प्रताप सिंह और बृजराज प्रताप सिंह पिता के लिए न सिर्फ प्रचार कर रहे हैं बल्कि कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर दिशानिर्देश भी दे रहे हैं।
आपको बता दें कि राजा भैया 1993 से लेकर अभी तक अजेय रहे हैं। उन्होंने पहला चुनाव 26 साल की उम्र में लड़ा था और वह विजयी हुए थे। राजा भैया 1993 और 1996 में बीजेपी समर्थित, 2002, 2007 और 2012 में एसपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधायक चुने गए।  2017 में वह सातवीं बार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए और उन्होंने भाजपा प्रत्याशी जानकी शरण पांडेय को बड़े वोटों के अंतर से हराया। 

आजम खान सीतापुर से लड़ सकते हैं चुनाव 
सीतापुर जेल में तकरीबन 23 महीनों से बंद रामपुर के सपा सांसद आजम खान भी इस बार रामपुर से चुनाव लड़ सकते हैं। उनके बेटे अब्दुल्लाह ने जेल से बाहर आने के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात भी की है। सूत्र बताते हैं कि अब्दुल्लाह आजम को रामपुर की सभी 5 विधानसभा सीटों के लिए पार्टी का सिंबल दे दिया गया है। आजम खान रामपुर शहर सीट से 9 बार विधायक रह चुके हैं। अभी वह रामपुर लोकसभा सीट से ही सांसद है। 

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