UP Board 10th Result: झुग्गी झोपड़ी में रहने वाली 6 बेटियों ने भी लहराया परचम, इन क्षेत्रों में करना चाहती काम

प्रयागराज शहर की झुग्गी झोपड़ी में रहने वाली छह बेटियों ने परचम लहराया है। शहर के चुंगी, परेड और सीएमपी के पास हरिनगर झोपड़ पट्टी में रहने वाली छह बेटियों की सफलता की कहानी से हर कोई हैरान है क्योंकि इन लड़कियों के माता पिता कूड़ा, सब्जी फेरी लगाकर बेचने का काम करते है। 

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने यूपी बोर्ड के दसवीं और बाहरवीं के रिजल्ट में एक बार फिर लड़कियों का दबदबा रहा है। वहीं प्रयागराज से बोर्ड रिजल्ट की खबर जानकर हैरान हो जाएंगे क्योंकि दसवीं बोर्ड के रिजल्ट में उन बच्चियों ने भी बाजी मारी है जो शिक्षा से काफी दूर थी। यह बच्चियां शिक्षा से कोसों दूर थी। इतना ही नहीं दूसरे के घरों में काम और कूड़ा बिनने का काम करती थी। झुग्गी झोपड़ी में रहने वाली बेटियों ने अपनी बस्ती के साथ-साथ अपने माता-पिता का नाम रोशन किया। जो कभी उन्हें स्कूल जाने से रोकते थे, पढ़ने जाने पर बोलते थे कि अगर पढ़ने जाओगी तो दूसरों के घरों पर काम कौन करने जाएंगा। माता पिता पूछते थे कि घर चलाने के लिए पैसे कहां से आएंगे। 

लड़कियों के यह है भविष्य के सपने
लेकिन दसवीं बोर्ड परीक्षा में आए शानदार रिजल्‍ट ने कई और बस्ती की बच्चियों की स्कूल जाने की राह खोल दी है। शहर में परेड, चुंगी और सीएमपी के पास हरिनगर झोपड़ पट्टी में रहने वाली छह बेटियों ने यूपी बोर्ड परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया है। सारी लड़कियों प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुई हैं। झुग्गी झोपड़ी रहने वाली सना ने 81 फीसदी अंक हासिल किये हैं। उसके पिता फेरी लगाने का काम करते हैं। सना डॉक्टर बनना चाहती है। तो वहीं आंचल ने 80 फीसदी अंक हासिल किए हैं और उसके पिता ठेले पर सब्जी बेचने का काम करते हैं। वह डॉक्टर बनना चाहती है। तो वहीं दूसरी ओर खुशबू बानो ने 70 फीसदी अंक हासिल किए है और उसके पिता रिक्शा चलाते हैं। खुशबू बानो बैंकिंग के क्षेत्र में जाना चाहती है। खुशबू विश्वकर्मा ने 10वीं की बोर्ड परीक्षा में 84 फीसदी अंक हासिल किए हैं। जबकि उसके माता-पिता मजदूरी करते हैं। खुशबू बड़ी होकर पत्रकारिता के क्षेत्र में करियर बनाना चाहती हैं।

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सभी बच्चियों का दाखिला संस्था में हुआ
इतनी कठिन परिस्थितियों में अपनी पढ़ाई कर बोर्ड परीक्षा में शानदार सफलता हासिल की है। अपने माता पिता को मनाकर शिक्षा के प्रति जागरूक करके परचम लहराया है। सब्जी के ठेले पर बैठकर पढ़ाई की तो किसी ने मोमबत्ती की रोशनी में। छह साल पहले इन सभी बच्चियों का दाखिला शुरुआत एक ज्योति शिक्षा की संस्था ने अलग अलग स्कूलों में कराया था। इसके साथ ही साथ इन बच्चों की शिक्षा दीक्षा की पूरी जिम्मेदारी शुरुआत परिवार के द्वारा विगत छह वर्षों से निभाई जा रही है। इन बच्चों को सभी विषयों की तैयारी प्रतिदिन संस्था के शिक्षकों के द्वारा दस दस घंटे कराई गई, जिसकी वजह से बच्चों ने शानदार सफलता प्राप्त हुई है। 

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