Special Story: यूपी चुनाव की लीला, जेल में पति और राजनीतिक विरासत संभालने को चुनावी मैदान में पत्नियां

यूपी चुनाव 2022 में कई मायनों में बेहद खास है। इस चुनाव में कई ऐसे बाहुबलियों की पत्नियां भी चुनावी मैदान में हैं जो खुद जेल में बंद हैं। भले ही राजनीतिक दल अपराधियों से दूरी का वादा जनता के सामने करते हों लेकिन ज्यादातर यह सच होता दिखाई नहीं देता। ऐसा ही यहां भी हैं। अलग-अलग राजनीतिक दलों ने इन जेल में बंद नेताओं की पत्नियों को टिकट देकर चुनाव में उतारा है। 

गौरव शुक्ला

लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर सभी राजनीतिक दलों की तैयारियां लगातार जारी है। राजनीतिक दलों के द्वारा प्रत्याशियों के नामों के साथ ही स्टार प्रचारकों की लिस्ट भी जारी की जा रही हैं। वहीं नामांकन की प्रक्रिया भी इस दौरान जारी है। फिलहाज आज हम आपको कुछ ऐसी महिलाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके पति जेल में हैं और पत्नियां चुनाव लड़ रही हैं। जाहिर तौर पर राजनीतिक दलों ने एक ओर जहां अपराधियों और माफियाओं से दूरी बनाने का प्रयास किया है, वहीं दूसरी ओर उनकी पत्नियों को टिकट देकर विरासत को संभालने की दिशा में कदम बढ़ाया है।

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अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता प्रयागराज से लड़ेंगी चुनाव 
प्रयागराज में माफिया व पूर्व सांसद अतीक अहमद का खासा प्रभाव माना जाता है। अहमदाबाद जेल में बंद इस बाहुबली के सियासी गठजोड़ और रसूख का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह 5 बार विधायक और 1 बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। अतीक सपा और अपना दल के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। अतीक 1989,1991 और 1993 में निर्दलीय जबकि 1996 में सपा के टिकट पर इलाहाबाद की पश्चिम विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे। 
अतीक भले ही मौजूदा समय में सलाखों के पीछे हैं लेकिन उनकी पत्नी शाइस्ता परवीन ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के टिकट पर प्रयागराज पश्चिम से चुनावी मैदान में है।  ज्ञात हो कि अतीक के अहमदाबाद जेल में बंद होने के बाद भी शाइस्ता ने एआईएमआईएम ज्वाइन की थी। जिसके बाद से ही कयास लगाए जाने लगे थे कि अतीक खुद या उनके परिवार का कोई सदस्य इस सीट से मैदान में उतर सकता है। गौरतलब है कि योगी सरकार ने कार्यकाल के दौरान ही अतीक के गैंग से जुड़ी संपत्तियों पर कई कार्रवाई की हैं। राज्य सरकार ने अतीक और उनसे जुड़े मामले में तकरीबन 203 करोड़ की अवैध संपत्ति को जब्त करने के साथ ही गैंग के तकरीबन 17 लोगों को गिरफ्तार किया है। 

संजीव राजा की पत्नी मुक्ता अलीगढ़ शहर से प्रत्याशी 
अलीगढ़ शहर सीट से विधायक संजीव राजा पुलिस से मारपीट के मामले में 2 साल की सजा पाने के बाद इस बार चुनाव नहीं लड़ पाए। भाजपा ने अलीगढ़ शहर की सीट से संजीव राजा की पत्नी मुक्ता राजा को प्रत्याशी बनाया है। वैसे तो संजीव राजा ने अपनी सजा पर रोक के लिए अदालत में केस दायर किया है। लेकिन भाजपा ने जटिलताओं से बचने के लिए उनकी पत्नी को ही टिकट दे दिया। 2017 के चुनाव की बात हो तो भाजपा ने शहर सीट पर तकरीबन 15 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी। 
भाजपा विधायक संजीव राजा पर 17 नवंबर 1999 को बन्नादेवी थाना क्षेत्र में मुकदमा दर्ज किया गया था। इसमें उन पर ट्रक को जबरन नो पार्किंग में घुसाने और ऑन ड्यूटी सिपाही के साथ मारपीट का आरोप था। जिसके बाद इस मामले में सुनवाई करेत हुए अलीगढ़ की एमपी एमएलए कोर्ट ने उन्हें दोषी पाया था। इसी के साथ 18 नवंबर 2021 को उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई थी। 

गायत्री प्रजापति की पत्नी महाराजी प्रजापति अमेठी से उम्मीदवार 
समाजवादी पार्टी ने रेप के आरोप में जेल में सजा काट रहे गायत्री प्रजापति की पत्नी महाराजी प्रजापति को टिकट दिया है। समाजवादी पार्टी की ओर सो महाराजी प्रजापति को अमेठी से प्रत्याशी बनाया गया है। गायत्री प्रजापति पर अवैध खनन के साथ ही कई अन्य मामले भी चल रहे हैं। वहीं जब अखिलेश यादव से महाराजी प्रजापति को टिकट देने पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि गायत्री प्रजापति की पत्नी के खिलाफ कोई केस नहीं है, केस उनके पति के खिलाफ है। 
सपा सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापति और अन्य के खिलाफ 18 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गैंगरेप, जानमाल की धमकी औऱ पॉक्सो एक्ट का मुकदमा दर्ज हुआ था। 10 नवंबर 2021 को दोषी करार दिया गया था। गायत्री और दो अन्य आरोपियों को दोषी मानते हुए उन पर 2-2 लाख का जुर्माना भी लगाया गया था। 

खब्बू तिवारी की पत्नी आरती तिवारी गोसाईगंज से चुनावी मैदान में 
भारतीय जनता पार्टी ने गोसाईगंज से पूर्व विधायक खब्बू तिवारी की पत्नी आरती तिवारी को टिकट दिया है। खब्बू तिवारी की विधायक फर्जी मार्कशीट के मामले में रद्द कर दी गयी थी। लेकिन उनकी जगह उनकी पत्नी को प्रत्याशी बना दिया गया। 
2017 के विधानसभा चुनाव में इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी को बीजेपी से टिकट पर चुनाव लड़वाया गया था। उन्होंने अभय सिंह को 10 हजार वोटों के अंतर से हराया था। लेकिन बीते साल खब्बू तिवारी की विधायकी चली गयी। उनके खिलाफ एक अपराधिक मामले में कोर्ट की ओर से उन्हें 5 साल की सजा सुनाई गई। खब्बू तिवारी पर फर्जी मार्कशीट के जरिए दूसरी कक्षा में दाखिला लेने का आरोप लगा था। यह मामला वर्ष 1992 का है। तकरीबन 29 साल बाद कोर्ट ने इस मामले में 18 अक्टूबर 2021 को सजा सुनाई। 

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