उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) में इस बार 47 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिनपर राजनीतिक पार्टियां सबसे ज्यादा ध्यान दे रही हैं। इन 47 विधानसभा सीटों की लड़ाई इस बार बड़ी दिलचस्प होने वाली हैं। सभी पार्टियों ने इन सीटों पर अपनी गोटियां सेट करने की तैयारी कर ली है।
दिव्या गौरव
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव वैसे तो राज्य की 403 विधानसभा सीटों पर लड़ा जा रहा है लेकिन सूबे की 47 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिनपर राजनीतिक दल सबसे ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार राज्य विधानसभा की कुल 403 सीटों में से 47 सीटों पर जीत-हार का फैसला 5000 से कम मतों के अंतर से हुआ था जिनमें से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 23 सीटों, समाजवादी पार्टी (सपा) ने 13 और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने आठ सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि एक-एक सीट कांग्रेस,अपना दल और राष्ट्रीय लोकदल के खाते में गई थी। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि मतों का थोड़ा सा बिखराव उन्हें इन सीटों पर जीत की दहलीज पर पहुंचा सकता हैं, सभी पार्टियों ने इन सीटों पर अपनी गोटियां सेट करने की तैयारी कर ली है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि वोटों का अधिक अंतर नेताओं की स्वीकार्यता को दर्शाता है, इसलिए राजनीतिक दलों ने इन चीजों को ध्यान में रखते हुए अपने उम्मीदवारों का चयन किया है। हर सीट पर राजनीतिक दलों की ओर से कराए गए इंटरनल सर्वेज ने उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भाजपा को विश्वास है कि मौजूदा चुनावों में उनके हिंदुत्व और विकास के मुद्दे से न केवल इन सीटों पर बल्कि राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। वहीं कुछ जाति-आधारित क्षेत्रीय दलों के साथ तैयार किए गए गठबंधन पर सपा नेता अखिलेश यादव उत्साहित हैं और उनका दावा है कि परिणाम सभी निर्वाचन क्षेत्रों में उनके पक्ष में होंगे।
ओबीसी वोट खेलेंगे बड़ा दांव
सपा पिछड़ी जाति के नेताओं जैसे स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धरम सिंह सैनी को अपने पक्ष में करने को लेकर उत्साहित है। ओबीसी राज्य की आबादी का लगभग 50 प्रतिशत है। वर्ष 2017 के चुनावों में, सबसे कम जीत का अंतर सिद्धार्थ नगर की डुमरियागंज सीट पर था, जहां भाजपा उम्मीदवार राघवेंद्र प्रताप सिंह ने बसपा उम्मीदवार सैयदा खातून को हराकर 171 मतों के मामूली अंतर से जीत हासिल की थी। भाजपा के अवतार सिंह भड़ाना, जो अब राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) में शामिल हो गए हैं, ने भी अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के लियाकत अली को हराकर 193 मतों से जीत हासिल की थी। इसी तरह, बसपा के श्याम सुंदर शर्मा ने मथुरा में अपने प्रतिद्वंद्वी रालोद के उम्मीदवार योगेश चौधरी को हराकर 432 मतों से जीत हासिल की थी।
तीन सीटों पर 1000 से भी कम रहा था अंतर
2017 के चुनाव में तीन सीटें ऐसी रही थीं जहां जीत का अंतर 1000 वोटों से कम रहा। इन सीटों में गोहना, रामपुर मनिहारन (सहारनपुर) और मुबारकपुर (आजमगढ़) शामिल हैं। गोहना में भाजपा के श्रीराम सोनकर ने अपने प्रतिद्वंद्वी बसपा के राजेंद्र कुमार को हराकर 538 से जीत दर्ज की थी, जबकि रामपुर मनिहारन में भाजपा के देवेंद्र कुमार निम ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बसपा के रविन्द्र कुमार मल्हू को 595 वोटों से हराकर जीत हासिल की थी। मुबारकपुर सीट पर बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने जीत दर्ज की थी और इस सीट पर सपा प्रत्याशी को 688 के अंतर से हराया था। इस बार गुड्डू बसपा से बाहर हो गए हैं। एक अन्य मामला कन्नौज (सुरक्षित) सीट का है जहां भाजपा 2017 में 2,500 मतों से हार गई थी। भाजपा ने इस बार इस सीट से आईपीएस से नेता बने असीम अरुण को मैदान में उतारा है।
इन सीटों पर होगा काफी रोचक मुकाबला
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि थोड़ी सी मेहनत इन सीटों पर राजनीतिक माहौल बदल सकती है। राजनीतिक विश्लेषक योगेन्द्र त्रिपाठी के मुताबिक, सबसे कम अंतर वाली इन 47 सीटों में से 23 सीटें भाजपा ने जीती थीं। इन सीटों पर विपक्षी दल घात लगाए बैठे हैं, तो बीजेपी ज्यादा मेहनत कर रही है। वहीं लगभग 20 सीटों पर बीजेपी दूसरे नंबर पर रही थी और वोट का अंतर भी काफी कम था। इन सीटों पर बीजेपी ने काफी सोच समझकर उम्मीदवार उतारे हैं और जीत के सपने संजोए हैं। उन्होंने कहा कि इन सीटों पर काफी रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा।
UP Election Info: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में 403 विधानसभा सीट के लिए पहले चरण का मतदान 10 फरवरी, दूसरा चरण 14 फरवरी, तीसरा चरण 20 फरवरी, चौथा चरण 23 फरवरी, पांचवां चरण 27 फरवरी, छठा चरण 3 मार्च और अंतिम चरण का मतदान 7 मार्च को है। कुल 7 चरणों में होगा यूपी में चुनाव। मतगणना 10 मार्च को होगी।
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