Inside Story: कभी मायावती की सीट रही बिल्सी विधानसभा में बसपा त्रिकोणीय मुकाबले में भर रही दम

बरेली मंडल की बदायूं जिले की बिल्सी विधानसभा को साल 1996 के चुनाव में बसपा प्रमुख मायावती के जीतने की वजह से वीआईपी सीट मानी जाती है लेकिन इस चुनाव में यहां से बसपा त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी हुई है। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 10, 2022 1:18 PM IST

राजीव शर्मा

बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली (Bareilly) मंडल की बदायूं (Badaun) जिले की बिल्सी विधानसभा (Bilsi Vidhansabha) को साल 1996 के चुनाव में बसपा (BSP) प्रमुख मायावती (Mayawati) के जीतने की वजह से वीआईपी सीट मानी जाती है लेकिन इस चुनाव में यहां से बसपा त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी हुई है। भाजपा ने इस सीट पर पिछले चुनाव में कब्जा किया था लेकिन मौजूदा विधायक पंडित राधा कृष्ण शर्मा इस चुनाव में कमल को छोड़कर साइकिल की सवारी कर चुके हैं और वह पड़ोसी जनपद बरेली की आंवला सीट से सपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।

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हरौड़ा सीट पर रिकॉर्ड तोड़ मिले थे वोट
वह साल 1996 का विधानसभा चुनाव था, जब बसपा प्रमुख मायावती ने उत्तर प्रदेश की दो सीटों पर चुनाव लड़ा था। उन्होंने सहारनपुर जिले की हरौड़ा विधानसभा के साथ बदायूं की बिल्सी विधानसभा सीट से भी नामांकन कराया था। दोनों सीटों पर वह जीत गईं चूंकि बिल्सी सीट पर उनकी जीत भाजपा से कड़े मुकाबले में महज 2515 वोटों से ही हुई। जबकि हरौड़ा सीट पर उन्होंने रिकॉर्ड तोड़ वोट पाए थे इसलिए उन्होंने बिल्सी सीट को छोड़ दिया। उनके इस्तीफा देने के बाद वहां पर उपचुनाव हुआ था। उसके बाद बसपा ने भोलाशंकर मौर्या को प्रत्याशी बनाया और वह जीत गए थे। बसपा इस सीट पर चार बार ही जीती। आखिरी बार 2012 में मुसर्रत अली ने हाथी निशान पर जीत हासिल की थी। पिछले साल 2017 के चुनाव में भाजपा के राधा कृष्ण शर्मा यहां से जीते लेकिन इस चुनाव में वह भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो चुके हैं और बरेली जिले की आंवला विधानसभा चुनाव से साइकिल के निशान पर चुनाव लड़ रहे हैं।

धार्मिक महत्व भी है यहां का
बिल्सी विधानसभा क्षेत्र में तीर्थस्थल कछला स्थित है। कछला में गंगा बहती हैं। धार्मिक मान्यता है कि गंगा को धरती पर लाने से पहले भागीरथ ने इस क्षेत्र में तपस्या की थी। यहां भागीरथ का प्राचीन मंदिर भी स्थित है। इस धार्मिक स्थल हर साल पूर्णिमा पर हजारों भक्त पहुंचते हैं। सावन के दिनों में गंगा जल भरने के लिए कांवरिए भी बड़ी संख्या में आते हैं।

त्रिकोणीय मुकाबले में तस्वीर साफ नहीं
अपने मौजूदा विधायक राधा कृष्ण शर्मा के सपा में जाने की वजह से बिल्सी सीट पर भाजपा ने इस चुनाव में हरीश शाक्य को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने गठबंधन में यह सीट महान दल के लिए छोड़ी है। महान दल ने अध्यक्ष केशव देव मौर्य के बेटे चंद्रप्रकाश मौर्य को प्रत्याशी बनाया है। बसपा ने यहां से ममता शाक्य को अपना प्रत्याशी बनाया है। चूंकि इस सीट पर मौर्य-शाक्य मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी है। ऐसे में, तीनों ही प्रमुख प्रत्याशी एक ही बिरादरी के होने की वजह से मौर्य-शाक्य मतदाताओं के सामने किसी एक को चुनने की मुश्किल है। नतीजतन, दूसरी बिरादरियों के समीकरण से जीत-हार तय होगी। इनमें मुस्लिम और दलित मतदाताओं का रुझान काफी हद तक नतीजे तय करेगा। बसपा प्रत्याशी को अनुसूचित जाति के मतदाता साथ आने की उम्मीद है तो असल मुकाबला मुस्लिम मतदाताओं को साधने पर है। पिछली बार तो भाजपा की लहर थी इसलिए यह सीट भाजपा को मिल गई लेकिन इस बार वह सीट वापसी के लिए संघर्ष कर रही है।

मायावती ने बिल्सी के जरिए बरेली मंडल से बताया खास लगाव
अभी हाल में बरेली मंडल के बसपा प्रत्याशियों के समर्थन में चुनावी जनसभा करने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती बरेली पहुंची थीं। इस दौरान उन्होंने बिल्सी सीट पर 1996 के चुनाव में खुद जीतने का उदाहरण देकर अपना बरेली मंडल से खास लगाव बताया था। बता दें कि 1962 में सुरक्षित सीट बनी बिल्सी विधानसभा 2007 में सामान्य हो गई थी। 1996 में सुरक्षित यानी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने की वजह से ही मायावती यहां से चुनाव लड़ी थी।

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