उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे चरण का चुनाव लड़ चुके प्रत्याशियों को भाजपा, सपा और कांग्रेस ने अब अगले चरण के चुनाव में लगा दिया है। उन सभी उम्मीदवारों को जातीय समीकरण साधने की जिम्मेदारी दी गई है।
राजीव शर्मा
बरेली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे चरण का मतदान हो चुका है। अब पांचवें, छठे और सातवें चरण के लिए मतदान होना है। ये तीनों चरण पूर्वी उत्तर प्रदेश में हैं। ऐसे में, पश्चिमी और मध्य यूपी की चार चरणों वाली सीटों पर चुनाव लड़ चुके प्रत्याशी भाजपा, सपा और कांग्रेस के लिए बाकी तीनों चरणों के लिए काम के साबित हो रहे हैं। तीनों दलों ने चुनाव लड़ चुके अपने प्रत्याशियों को पूर्वी उत्तर प्रदेश की उन सीटों पर चुनाव प्रचार में लगाया है, जहां मतदान होना है। बरेली मंडल के जिलों से भी अधिकांश प्रत्याशी इन दिनों अपनी-अपनी पार्टी के पक्ष में चुनाव प्रचार करने के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश में गए हुए हैं।
जातिगत समीकरण साध रहे प्रत्याशियों के जरिए
भाजपा और सपा ने खासतौर पर अपने प्रत्याशियों को पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपनी जाति के वोटरों को लुभाने की जिम्मेदारी दी है। मसलन, बरेली की आंवला विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी रहे और पूर्व सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह को पूर्वी उत्तर प्रदेश में लोध-किसान बिरादरी को लुभाने के लिए लगाया गया है। इसी तरह भाजपा ने बरेली कैंट के प्रत्याशी रहे संजीव अग्रवाल को पूर्वी उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर वैश्य समाज को लुभाने की जिम्मेदारी सौंपी है। संजीव पार्टी के सह प्रदेश कोषाध्यक्ष भी हैं। वह अपना चुनाव निपटाने के बाद से पूर्वी उत्तर प्रदेश में ही हैं। बरेली शहर सीट सीट से भाजपा का चुनाव लड़े डॉ. अरुण कुमार को सजातीय कायस्थ मतदाताओं को लुभाने के लिए बनारस और प्रयागराज भेजा गया है। मीरगंज से चुनाव लड़े बीएल वर्मा और बिथरी चैनपुर से चुनाव लड़े डॉ. राघवेंद्र शर्मा को भी भाजपा ने पूर्वांचल में उतारा है।
सपा ने भी पूर्वांचल बुलाए अपने प्रत्याशी
भाजपा ही नहीं, सपा ने भी बरेली मंडल के अपने कइ्र प्रत्याशियों को पांचवे और छठे चरण के चुनाव प्रचार में जुटाया है। इनमें बरेली शहर से चुनाव लड़े राजेश अग्रवाल, आंवला से चुनाव लड़े आरके शर्मा, नवाबगंज से चुनाव लड़े पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार, बहेड़ी से चुनाव लड़े पूर्व मंत्री अताउर रहमान प्रमुख हैं। वहीं, सपा के कई नेताओं को भी चुनाव प्रचार में लगाया गया है। उनको अपने-अपने जातिगत समीकरण साधने में लगाया गया है।
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